Supreme Court: CJI गवई का संदेश, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट संवैधानिक रूप से बराबर, कोई बड़ा-छोटा नहीं

CJI गवई का संदेश, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट संवैधानिक रूप से बराबर, कोई बड़ा-छोटा नहीं
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Supreme Court: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ही संवैधानिक अदालतें हैं और इनमें कोई बड़ा या छोटा नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम हाईकोर्ट के कोलेजियम को किसी खास नाम की सिफारिश करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए CJI गवई ने कहा कि जजों की नियुक्ति का पहला फैसला हाईकोर्ट कोलेजियम लेता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट केवल नामों की सिफारिश करता है और उनकी योग्यता पर विचार करने का अनुरोध करता है।

CJI गवई ने बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने एक नई पहल की थी। इसके तहत, जज पद के इच्छुक उम्मीदवारों से 10 से 30 मिनट तक सीधी बातचीत की जाती है, ताकि उनकी समाज में योगदान देने की क्षमता को बेहतर तरीके से परखा जा सके।

उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों बिरसा मुंडा, ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले, रवीन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव आंबेडकर और मौलाना आजाद के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। CJI गवई ने कहा कि भारत की आजादी सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन का परिणाम नहीं थी, बल्कि यह एक नैतिक और कानूनी संघर्ष भी था, जिसमें वकीलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

CJI गवई ने वकीलों और जजों से अपील की कि वे संविधान की मूल भावना को अपनाएं और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि कोई भी मामला छोटा नहीं होता, क्योंकि जो किसी के लिए मामूली हो, वह किसी और के लिए जीवन और गरिमा का सवाल बन सकता है।

उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उदाहरण देते हुए कहा कि संथाल समुदाय की बेटी का देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचना भारत की प्रगति को दर्शाता है, लेकिन समान, न्यायपूर्ण और सुरक्षित भारत बनाने का काम अभी अधूरा है। उन्होंने संकल्प लिया कि आने वाली पीढ़ियों को ऐसा भारत सौंपा जाए, जहां हर बच्चा पढ़ सके, हर महिला सुरक्षित महसूस करे और हर नागरिक की आवाज सुनी जाए।

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