हैदराबाद में जंगल कटाई पर बवाल: जानवरों की ‘गुहार’ के बीच चलीं मशीनें, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक...

जानवरों की ‘गुहार’ के बीच चलीं मशीनें, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक...
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हैदराबाद के गाछीबाउली इलाके में जंगल की अंधाधुंध कटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पर्यावरण प्रेमियों और आम नागरिकों को झकझोर कर रख दिया है।

वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे रात के अंधेरे में भारी-भरकम बुलडोजर पेड़ों को गिरा रहे हैं, वहीं पास में खड़े मोर और अन्य जंगली जीव डर और बेबसी में चिल्ला रहे हैं। यह दृश्य इतना मार्मिक है कि इसे देखकर लोगों की आंखें नम हो रही हैं।

सरकार इस जंगल को काटकर वहां इमारतें बनाना चा‍हती है, जिसे लेकर स्थानीय लोग, पर्यावरणविद् और छात्र विरोध कर रहे हैं। मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जिसने इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए जंगल कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

जंगल के विनाश की साजिश, जानवरों का घर उजाड़ने की तैयारी

गाछीबाउली के पास स्थित कांचा जंगल को काटकर वहां पर इमारतें बनाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए स्थानीय विकास प्राधिकरण ने छुट्टियों का समय चुना ताकि बिना किसी विरोध के पेड़ों को गिराया जा सके।

लेकिन इस नायाब जंगल के संरक्षण के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ताओं और छात्रों ने इस कदम के खिलाफ आवाज उठाई। जंगल में पेड़ों की कटाई का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो लोगों का गुस्सा भड़क उठा।

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए जंगल कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया एक्शन, जंगल की कटाई पर लगाई अस्थायी रोक

गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को मौके का निरीक्षण करने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को तुरंत संबंधित स्थल का दौरा कर एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपनी होगी।

इसके साथ ही, कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कांचा गाछीबाउली वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार की पेड़ों की कटाई न की जाए।

छात्रों और स्थानीय लोगों का विरोध जारी

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र इस जंगल को बचाने के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह जंगल न सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां रहने वाले सैकड़ों पक्षी और जानवरों के लिए भी जीवनरेखा है।

छात्रों ने सरकार से अपील की है कि जंगल की कटाई को पूरी तरह से रोका जाए और इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।

सरकार पर बढ़ा दबाव, हाईकोर्ट ने भी लगाई रोक

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को 3 अप्रैल तक सभी विकास कार्य रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह देखना होगा कि क्या सरकार जंगल की कटाई को पूरी तरह रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या फिर कानूनी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

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