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मप्र कैडर के पूर्व IAS हर्ष मंदर के ठिकानों पर CBI का छापा, करोड़ों के विदेशी चंदे का नहीं दिया हिसाब

विदेशी चन्दे से देश में वातावरण बिगाडऩे में सिद्धहस्त हैं हर्ष मंदर

मप्र कैडर के पूर्व IAS हर्ष मंदर के ठिकानों पर CBI का छापा, करोड़ों के विदेशी चंदे का नहीं दिया हिसाब
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नईदिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण यूरो ने शुक्रवार को विदेशी चन्दा कानून उल्लंघन के मामले में आईएएस से कथित सामाजिक कार्यकर्ता बने हर्ष मंदर के आवास और कार्यालय पर छापेमारी की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय जाँच एजेंसी ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ भी की है। हर्ष मंदर यूपीए सरकार के दौरान सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे। दरअसल, सितंबर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने हर्ष मंदर के एनजीओ ‘अमन बिरादरी’ से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच शुरू की थी। उस दौरान भी हर्ष मंदर के आवास पर छापा मारा गया था।

दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन के लिए अमन बिरादरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। नियम के मुताबिक, विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले सभी एनजीओ को गृह मंत्रालय के एफसीआरए के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है। एनजीओ की वेबसाइट के अनुसार, अमन बिरादरी एक ‘जमीनी स्तर का आंदोलन’ है जो एक धर्मनिरपेक्ष, शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और दयालु दुनिया बनाने के लिए समर्पित है। गृह मंत्रालय ने साल 2023 में एफसीआरए उल्लंघन को लेकर हर्ष मंदर की एनजीओ के खिलाफ सीबीआई जाँच की सिफारिश की थी। हर्ष मंदर खुद को वामपंथी ‘कार्यकर्ता’ बताते हैं। हर्ष मंदर पर न केवल हिंसा भडक़ाने, बल्कि न्यायपालिका को बदनाम करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं। उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की भी माँग की गई थी।

राममंदिर के खिलाफ कोर्ट गए-

हर्ष मंदर उन 40 ‘कार्यकर्ताओं’ में से एक थे, जिन्होंने अयोध्या फैसले के खिलाफ अदालत में समीक्षा याचिका दायर की थी। सुप्रीम के इस फैसले से ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ था। वह उस मंडली का भी हिस्सा थे, जिसने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर की थी। हर्ष मंदर ने यह सब कुछ विदेशी विा पोषित एनजीओ से जुड़े रहते हुए किया।

सीएए को लेकर हुए बवाल में हर्ष मंदर की भूमिका-

हर्ष मंदर ने अपने संगठन ‘कारवां-ए-मोहबत’ के साथ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई हिंसा पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें वहाँ के छात्रों को सभी दोषों से मुक्त कर दिया गया था और उत्तरप्रदेश पुलिस के खिलाफ कई झूठ फैलाए गए थे। बाद में यह पूरी रिपोर्ट ही झूठी निकली। हर्ष मंदर ने सीएबी पारित होने पर खुद को मुस्लिम के रूप में पंजीकृत करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि सीएबी के सीएए बनने के बाद उन्होंने अपना वादा पूरा किया है या नहीं। उन्होंने अतीत में एनआरसी और असम में विदेशी न्यायाधिकरण के बारे में भी बड़ा झूठ फैलाया है। शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन में भी वे सक्रिय थे।

कौन है हर्ष मंदर -

हर्ष मंदर ने लगभग दो दशकों तक मप्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा में काम किया था। साल 2002 में गुजरात में उन्होंने ‘राज्य प्रायोजित दंगों’ का आरोप लगाकर सेवा छोड़ दी थी। आईएएस छोडऩे के बाद से हर्ष मंदर ने ‘सिविल सोसायटी’ संगठनों में काफी रंगीन जीवन बिताया। उन्होंने अपने कई योगदानों में से एक, एक्शन एड इंडिया के कंट्री डायरेक्टर के रूप में काम किया है। आगे चलकर हर्ष मंदिर कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका में आ गए। यूपीए शासन के दौरान तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की स्थापना की गई थी। हर्ष मंदर इसके सदस्य थे। इस दौरान अपनी सेवा के लिए सबसे प्रसिद्ध हुए एनएसी ने ही हिंदू विरोधी सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया था। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले अटूबर 2022 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एफसीआरए कानूनों के उल्लंघन के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाले दो गैर-सरकारी संगठनों- राजीव गाँधी फाउंडेशन और राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट का एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया था।

Updated : 13 April 2024 12:46 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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