कर्नाटक सरकार का अजीब आदेश - प्राइवेट कंपनियों को 60 फीसदी कन्नड़ कर्मचारियों को देनी होगी नौकरी
कर्नाटक में जो कंपनियां कन्नडिगा (कन्नड़) कर्मचारियों की संख्या प्रदर्शित करने में विफल रहीं तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
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बैंगलोर। कर्नाटक के कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री शिवराज एस तंगदागी इन दिनों युवा पेशवरों के बीच चर्चा में हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के आदेश और मंत्री के बयान ने अन्य राज्यों के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल बुधवार 21 फरवरी को मंत्री ने कहा कि कर्नाटक में संचालित बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने कार्यालयों में नोटिस बोर्ड पर दिखाना होगा की कितने कन्नडिगा (कन्नड़) कर्मचारी यहाँ कार्यरत हैं। उनकी संख्या प्रदर्शित करनी ही होगी।
मंत्री ने यह भी कहा है कि जो कंपनियां कन्नडिगा (कन्नड़) कर्मचारियों की संख्या प्रदर्शित करने में विफल रहीं तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। मंत्री के इस बयान से भाषाई क्षेत्रवाद का विवाद खड़ा हो गया है।
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हाल ही में गुरुवार (15 फरवरी) को एक नया नियम पारित किया है। कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम 2022 अनुसार प्राइवेट, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, वाणिज्यिक,औद्योगिक, व्यावसायिक उपक्रमों, अस्पतालों, परामर्श केंद्रों, ट्रस्टों, मनोरंजन केंद्रों, प्रयोगशालाओं और होटलों सहित कई प्रकार के प्रतिष्ठानों में साइनबोर्ड पर 60 फीसदी कन्नड़ कर्मचारी की संख्या प्रदर्शित करना अनिवार्य हैं। अनुपालन न करने पर उनका बिजनेस लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
गौरतलब है की लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक राज्य में भाषा और क्षेत्र का विवाद जोर पकड़ रहा है। जगह - जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।
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