गुना में अपराजेय रहा है सिंधिया परिवार

गुना में अपराजेय रहा है सिंधिया परिवार
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-यहां से चार बार रायसीना हिल्स पहुंचे कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य इस बार बदल सकते हैं क्षेत्र

अशोकनगर। गुना संसदीय क्षेत्र अब तक सिंधिया परिवार के लिए अपराजेय रहा है। इस बार क्या होता है? राम जाने। ग्वालियर राजघराने के वारिशों की वजह से हर आम चुनाव में इस सीट पर देश की नजरें टिकी रहती हैं। 1957 से यहां के मतदाताओं पर इस खानदान का जादू चल रहा है। वर्ष 2001 में पूर्व केंद्रीयमंत्री माधव राव सिंधिया की मौत के बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। मगर जीत का आंकड़ा लगातार कम होने से इस बार ज्योतिरादित्य कोई खतरा मोल लेते नहीं दिख रहे।

यह है वजह

गुना संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। हालिया विधानसभा चुनाव परिणाम को आधार माना जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया 16,631 मतों से पराजित हो चुके हैं। अशोकनगर, चंदेरी, मुंगावली, गुना, बामोरी, शिवपुरी, पिछोर और कोलारस विधानसभा क्षेत्र कुल मतदान में भारतीय जनता पार्टी को 51,6926 और कांग्रेस को 50,0295 मत मिले थे। हाल ही में जिले के दौरे पर पहुंचे स्थानीय कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य ने बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में संकेतों में अपने मन की व्यथा कही भी थी। सिंधिया ने कहा था, मैं यहां रहूं-ना रहूं पर कांग्रेस को गुना से जीतना चाहिए। यह सीट अशोकनगर, शिवपुरी और गुना को मिलाकर बनी है। भारतीय जनता पार्टी की यहां नजर है। कुछ दिन पहले 13 साल बाद अशोकनगर पहुंचे भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यहां अभूतपूर्व स्वागत किया गया। कांग्रेस और भाजपा ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बहुजन समाज पार्टी ने लोकेंद्र सिंह राजपूत को उम्मीदवार घोषित कर चुनाव का बिगुल फूंक दिया है।

राजमाता से राजकुमार तक

यहां से 1957 में राजमाता के नाम से विख्यात रहीं ग्वालियर रियासत के अंतिम महाराजा जीवाजीराव सिंधिया की पत्नी विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस के टिकट निर्वाचित हुई थीं। तब से इस परिवार के तीन सदस्य 15 बार संसद पहुंच चुके हैं। राजमाता ने सर्वाधिक छह बार यहां का प्रतिनिधितत्व किया। उनके पुत्र माधवराव ने 1971 में जनसंघ से चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। वे 1980 तक लगातार तीन बार चुनाव जीते। इसके बाद वह ग्वालियर पहुंच गए। उन्होंने अपने सिपहसालार महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा को चुनाव लड़ाया। अगले चुनाव में यहां से राजमाता ने चुनाव लड़ा और चुनाव जीतीं। ग्वालियर से कम अंतर से जीते माधवराव 1999 में फिर गुना लौटे। 2001 में उनके निधन के बाद यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में उतरे। वह करीब तीन चौथाई मतों से जीते। गुना ने इस राजघराने की लाज रखी है। इस परिवार के किसी भी सदस्य ने यहां से चुनाव नहीं हारा।

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