दिन भर चला जिम्मेदारों और निर्माण सामग्री ढोतीं ट्रेक्टर-ट्रॉली चालकों के बीच आँख-मिचौली का खेल

एक तरफ चलती रही कार्रवाई तो दूसरी तरह शहर की सड़कों पर दौड़ती रहीं भवन निर्माण सामग्री से भरीं ट्रेक्टर-ट्रॉलियां
गुना/निज प्रतिनिधि। शहर में मंगलवार को दिन भर जिम्मेदारों और भवन निर्माण सामग्री ढोतीं ट्रेक्टर-ट्रॉली चालकों के बीच आँख-मिचौली का खेल चलता रहा। जिम्मेदारों में यातायात पुलिस, परिवहन और खनिज विभाग शामिल रहे, जो टीम के रुप संयुक्त रुप से एक तरफ कार्रवाई करते रहे तो दूसरी तरफ शहर की सड़कों पर नो एंट्री में भवन निर्माण सामग्री से भरीं ट्रेक्टर-ट्रॉलियां दौड़ती रहीं। टीम इधर कार्रवाई करती तो उधर से परिवहन शुरु हो जाता टीम उधर पहुँचती तो इधर से ट्रेक्टर-ट्रॉलियां निकलने लगतीं। इस तरह पहले ही दिन नियम का पालन पूरी तरह संभव नहीं हो पाया। हालांकि बिना रायल्टी चुकाए ख्रनिज का परिवहन कर रहीं दो ट्रेक्टर-ट्रॉलियों को जरुर पकड़ा गया है। नो एंट्री में प्रवेश को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
10 फड़ विक्रेताओं पर प्रकरण दर्ज
मंगलवार को सडक़ किनारे फड़ लगाकर भवन निर्माण सामग्री बेचने वाले 10 विक्रेताओं पर कार्रवाई की गई। यह सभी नानाखेड़ी के आसपास बिना अनुमति के निर्माण सामग्री विक्रय कर रहे थे। इनके प्रकरण कलेक्टर कोर्ट में पेश किए जाएंगे। यातायात प्रभारी उमेश मिश्रा ने बताया कि एक गिट्टी और एक भसुए से भरी ट्रेक्टर-ट्रॉली को पकड़ा गया है। चालक के पास परिवहन से संबंधित दस्तावेज नहीं थे और रायल्टी भी नहीं चुकाई गई थी। श्री मिश्रा ने बताया कि इसके साथ ही ऑटो, दोपहिया वाहनों के चालान भी बनाए गए।
11 से 9 बजे तक नहीं होना था ट्रेक्टर-ट्रॉलियों का शहर में प्रवेश
वर्ष 2015-16 की सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया था कि सुबह 11 बजे से लेकर रात 9 बजे तक भवन निर्माण सामग्री से भरी ट्रेक्टर-ट्रॉली शहर में प्रवेश नहीं कर सकेगी। यह नियम तो बना लिया गया, किन्तु इसका पालन नहीं हो पाया। इसी बीच हाल ही में बांसखेड़ी में सीमेन्ट से भरी एक ट्रेक्टर-ट्रॉली से मासूम बालिका की मौत के बाद लोगों के निशाने पर रहे जिम्मेदारों ने सोमवार को फिर बैठक कर उक्त नियम का सख्ती से पालन कराने का निर्णय लिया। जिसका आज पहले दिन ही पालन नहीं हो पाया। बैठक में यातायात पुलिस, परिवहन और खनिज विभाग ने संयुक्त रुप से कार्रवाई को लेकर रणनीति तैयार की थी।
कैन्ट से लेकर श्रीराम कॉलोनी तक कई जगह ढोई जाती रही निर्माण सामग्री
मंगलवार को भवन निर्माण सामग्री से भरी ट्रेक्टर-ट्रॉलियां नो एंट्री के समय 11 बजे के बाद भी शहर की सडक़ों पर देखने को मिलीं। कैन्ट से लेकर श्रीराम कॉलोनी तक कई जगह निर्माण सामग्री ढोई जाती रही। इसके साथ ही नानाखेड़ी स्थित फड़ से भी सिसौदिया कॉलोनी, महाविद्यालय मार्ग, कर्नलगंज, हाट रोड, जगदीश कॉलोनी मेंं ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से निर्माण सामग्री की आर्पूति होती रही तो बजरंगगढ़ के रास्ते से भी आवागमन बदस्तूर चलता रहा। हालांकि इस दौरान कार्रवाई भी हुई, किन्तु यह सिर्फ रायल्टी जांचने तक सीमित रही, नो एंट्री में प्रवेश को रोकने को लेकर अधिक रुचि सामने नहीं आई, जबकि बड़ी समस्या यहीं है। इसको लेकर भवन निर्माण सामग्री विक्रेताओं का दबाव माना जा रहा है।
पंजीयन कृषि कार्य का ढो रहीं निर्माण सामग्री
शहर में निर्माण सामग्री ढोने वाली अधिकांश ट्रेक्टर-ट्रॉलियां का पंजीयन कृषि कार्य का है। जानकारी बताते है कि ट्रेक्टर-ट्रॉली का पंजीयन दो तरह का होता है, पहला कृषि कार्य के लिए और दूसरा व्यवसायिक उपयोग के लिए। जिसे पीला पंजीयन कहा जाता है। कृषि कार्य के लिए पंजीयन आसानी से हो जाता है, किन्तु व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए कड़े मापदंड़ है। इसमें ट्रॉली के साईज, पहिओं की क्षमता और संख्या के साथ कहां पर ट्रॉली बनवाई जाए? इसका भी उल्लेख रहता है, किन्तु इन मापदंडों का पालन नहीं किया जाता है और ट्रेक्टर-चालक अपने हिसाब से चाहे-जहां, चाहे जैसी ट्रॉली बनवा लेते है। ऐसी ट्रॉलियों का संतुलन नहीं बनता है और वह चलने के दौरान झूलती रहती है और हादसों का कारण बनतीं है।
ब्रेक भी तुरंत नहीं लगता
ट्रेक्टर-ट्रॉली सड़क पर चलाना इसलिए भी खतरनाक है कि इसमें अन्य वाहनों की अपेक्षा ब्रेक तुरंत नहीं लगता है। अचानक किसी के सामने आने पर ब्रेक लगाने पर थोड़ी दूर जाकर ट्रेक्टर रुकता है, तब तक हादसा हो चुका होता है।
