फिर लौट सकती है नारायणपुरा शक्कर कारखाने की मिठास, साढ़े 8 करोड़ स्वीकृत

लंबे समय से दुर्दशा का शिकार है नारायणपुरा शक्कर कारखाना, किसानों का देना है करोड़ों
-निज प्रतिनिधि-
गुना। जिले के राघौगढ़ क्षेत्र में स्थित नारायणपुरा शक्कर कारखाने की मिठास एक बार फिर लौट सकती है। इस आशय की उम्मीद बीती रात हुई कैबीनेट की बैठक के बाद बंध रही है। उक्त बैठक में कारखाने के लिए साढ़े 8 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। बताया जाता है कि इस राशि से किसानों का लंबे समय से अटका गन्ना का जहां करोड़ों का लंबित भुगतान हो सकेगा, वहीं कारखाना भी फिर एक बार पहले की तरह दौड़ सकेगा। किसानों ने इस निर्णय को लेकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की है, वहीं कारखाना प्रबंधन भी इसको लेकर उत्साहित है। गौरतलब है कि सहायता को लेकर मांग लंबे समय से शासन से की जा रही थी।
19 साल पहले शुरु हुआ था कारखाना
राघौगढ़ में शक्कर कारखाना 19 साल पहले शुरु हुआ था। तब 44 करोड़ का कर्ज की मदद से कारखाना शुरु हुआ था। शुरुआती कई सालों तक कारखाना लाभ में चलता रहा, किन्तु इसके बाद यह लगातार घाटे में जाता रहा। इस बीच जहां गन्ना का उत्पादन तेजी से कम होने लगा तो शक्कर के दाम भी घटने लगे। इसके चलते कारखाना घाटे में जाना लगा। इसके मद्देनजर जहाँ इस कारखाने में कार्यरत 150 से ज्यादा स्थार्ई और इससे ज्यादा अस्थाई कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ने लगे तो किसानों का गन्ना का भुगतान भी अटकने लग गया। स्थिति यह बनी कि शक्कर कारखाना बंद होने की कगार पर पहुँच गया। इसके बाद इस कारखाने को पब्लिक प्राइवेट पार्टनर्शिप (पीपीपी) मॉडल पर देने की तैयारी भी की गई। हाालंकि ऐसा नहीं हो पाया।
अपेक्स बैंक का भी चुकाना है करोड़ों का कर्ज
शक्कर कारखाने को अपेक्स बैंंक का भी 19 करोड़ का कर्ज चुकाना है। इसी के चलते कारखाने की 21 हजार 900 बोरी शक्कर बैंक ने लंबे समय तक अपने यहां गिरवी रखी। दूसरी ओर करीब ढाई हजार किसानों को भी अपने गन्ना भुगतान का करोड़ों रुपए कारखाने से लेना है। यह राशि पूर्व में 12 करोड़ के लगभग आंकी गई थी। तत्समय अगर गिरवी रखी शक्कर को बेच दिया जाता तो किसानों का भुगतान पूरा हो जाता, किन्तु कानूनी दांव-पेंचों के चलते ऐसा नहीं हो पाया और बाद में वह शक्कर खराब हो गई।
सरकार से मांगी जाती रही है सहायता
नारायणपुरा शक्कर कारखाने की स्थिति के मद्देनजर सरकार से सहायता की मांग की जाती रही है। तत्कालीन विधायक जयवर्धन सिंह ने जहां इस मुद्दे को उठाया था और किसानों के भुगतान की मांग की थी तो गत वर्ष कारखाना के अध्यक्ष हीरेन्द्र सिंह बंटी बना ने भी इस मुद्दे को उठाया था, किन्तु तब कोई रास्ता नहीं निकल पाया। इसके बाद हाल में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद हीरेन्द्र सिंह फिर एक बार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह को उक्त मामले का स्मरण कराया। जिस पर कारखाने की ओर से मांग पत्र तैयार कर सहकारिता विभाग को भेजा गया। फिर सहकारिता विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर मंत्री परिषद को भेजा। जहां से बीते रोज कैबीनेट की बैठक में कारखाने के लिए साढ़े 8 करोड़ की सहायता (कर्ज) स्वीकृत हो गया है।
2500 बोरी प्रतिदिन की है क्षमता
नारायणपुरा शक्कर कारखाना देश के बड़े शक्कर कारखानों में पहचाना जाता है । इसकी उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 2500 बोरी की है। हर साल गन्ना की पिराई का सीजन दिसंबर माह से शुरु होता है। गुना के अलावा इस कारखाने में अशोकनगर सहित अन्य पड़ोसी जिलों का गन्ना भी पिराई के लिए आता है। कारखाने को सहायता मिलने से किसान प्रसन्न है।
