कलेक्टर, एसपी को फिर बुला रहा हनुमान चौराहा, अन्य क्षेत्र भी दे रहे है आमंत्रण

अतिक्रमण के हवाले है पूरा शहर, बाजार में तो निकलना भी हुआ मुश्किल
-निज प्रतिनिधि-
गुना। कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार एवं पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा को शहर का हनुमान चौराहा फिर बुला रहा है। इसके साथ ही शहर के अन्य क्षेत्र भी उन्हे अपने यहां आमंत्रित कर रहे है। गौरतलब है कि हाल ही में कलेक्टर, एसपी ने अपनी मौजूदगी में हनुमान चौराहे से अतिक्रमण हटवाया था। जिस तरह दोनों अधिकारियों ने इसको लेकर गंभीरता दिखाई थी, उसके मद्देनजर लोगों को लगा था कि अब आवागमन में अच्छे दिन आने वाले है, किन्तु लोगों की यह उम्मीद अगले दिन ही टूट गई, जब मुहीम नहीं चली। इतना ही नहीं, आज तक मुहीम फिर चलने का इंतजार हो रहा है। इस बीच हनुमान चौराहे पर बेजा कब्जे फिर जम चुके है तो दूसरी ओर पूरा शहर ही अतिक्रमण के हवाले है। मुख्य बाजार में तो निकलना भी दूभर हो चुका है।
टेबिल पर बैठकर तुड़वाया था अतिक्रमण
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले कलेक्टर भास्कार लाक्षाकार एवं एसपी राहुल कुमार लोढ़ा के नेतृत्व में हनुमान चौराहे से अतिक्रमण हटाया गया था। इस दौरान न सिर्फ दोनों अधिकारी कार्रवाई के दौरान पूरे समय मौजूद रहे थे, बल्कि खुद अपनी निगरानी में टेबिल पर बैठकर अतिक्रमण तुड़वाया था। करीब दो घंटे चली कार्रवाई के दौरान हनुमान चौराहे का एक तरफ का हिस्सा साफ किया गया था। जिससे सडक़ काफी चौड़ी दिखाई देने लगी थी। इसके बाद अगले दिन दूसरे तरफ के हिस्से की बारी थी, किन्तु इसके बाद से मुहीम चलने का इंतजार ही हो रहा है। लोगों को उम्मीद थी कि प्रशासन यहां भी पहुंचेगा, किन्तु उम्मीद पूरी नहीं हो सकी है।
फिर हुई पहले जैसी स्थिति
हनुमान चौराहे से अतिक्रमण हटे करीब हफ्ते भर से अधिक समय हो चुका है और वर्तमान में फिर एक बार यहां पहले जैसी स्थिति बन गई है। वैसे दूसरे दिन से ही लोगों ने यहां अपने बेजा कब्जे जमाने शुरु कर दिए थे, किन्तु तब यह अस्थाई तौर पर जमाए गए थे। डर था कि कहीं प्रशासन फिर न आ धमके, किन्तु जब दो-तीन दिन तक कोई कार्रवाई नहीं तो कब्जों को फिर स्थाई कर लिया गया है। गौरतलब है कि हनुमान चौराहे पर हर तरफ भारी अतिक्रमण के चलते आवागमन बुरी तरह से प्रभावित होता है। यहां इसके चलते सिगनल व्यवस्था का लाभ भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
रात में पता चलता है कितनी चौड़ी है सड़क
सिर्फ हनुमान चौराह नहीं बल्कि पूरा शहर ही अतिक्रमण के हवाले है। शहर की सडक़ें कितनी चौड़ी है? इसका पता रात में ही चल पाता है, जब पूरा बाजार बंद हो जाता है। वरना तो दिन में चौड़ी से चौड़ी सड़क भी गलियों में बदली रहती है। बात हाट रोड की करें या मुख्य मार्ग की या फिर कैन्ट सहित अन्य मार्गों की। हर तरफ अतिक्रमणकर्ताओं ने बेजा कब्जे कर रखे है। पहले तो दुकान ही सड़क तक जमा रहती है, फिर सामान भी आगे जमा लिया जाता है। फुटपाथ तो जैसे इसके चलते शहर से गायब ही हो चुके है, वहीं थोड़ी सी जगह सिर्फ लोगों को चलने के लिए मिलती है।
सबसे ज्यादा अतिक्रमण पर आज तक नहीं चली मुहीम
शहर के मुख्य बाजार में सबसे ज्यादा अतिक्रमण है, किन्तु ताज्जुब की बात है यहां आज तक अतिक्रमण हटाओ मुहीम नहीं चल पाई है। जब कभी बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है तो महज दुकान के आगे का सामान अंदर कराकर और चालान काटकर अपने कर्तव्य की इतिश्री जिम्मेदार कर लेते है, किन्तु शहर के अन्य हिस्सों की तरह यहां कभी प्रभावी मुहीम नहीं चलाई जा सकी है। लोग इसको लेकर भेदभाव का आरोप लगाते है, उनका कहना है कि प्रशासन की हिटैची सिर्फ गरीबों पर ही चलती है। बहरहाल पूरे शहर में अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रभावी मुहीम सिलसिलेवार चलाने की जरुरत है। सडक़ सुरक्षा समिति की बैठकें जो समय-समय पर आयोजित की जाती है, उनमें पूरी रुपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है। अभी तक होती आईं समिति की बैठक महज औपचारिक ही साबित होती आईं है। इसमें लगातार सिर्फ निर्णय दोहराए ही जाते है, अमल में नहीं लाए जाते।
