बापू पार्क में वाहन खड़ा करने पर शुल्क वसूलेगी नगर पालिका, खाली कराने के लिए शुरु की कवायद

-निज प्रतिनिधि-
गुना। शहर के बापू पार्क में अब लोग मुफ्त में अपने वाहन खड़े नहीं कर पाएंगे। नगर पालिका यहा पेड पार्किंग शुरु करने जा रही है। इससे पहले परिसर को पूरी तरह खाली कराने की कवायद शुरु हो गई है। इस हेतु नपा ने यहां सूचना भी चस्पा कर दी है। गौरतलब है कि शहर में पार्किंग के अभाव में हो रही आवागमन की समस्या को लेकर हाल ही में सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने नपा को पेड पार्किंग व्यवस्था शुरु करने के लिए निर्देशित किया था। इसके लिए स्थान बापू पार्क और पशु चिकित्सालय निर्धारित किए गए थे। इसी के बाद यह कवायद शुरु की गई है।
सालों से खड़े हुए है वाहन
शहर के मुख्य बाजार में स्थित बापू पार्क परिसर लंबे समय से अवैधथ रुप से वाहनों को खड़ा करने का ठिकाना बना हुआ है। आलम यह है कि कुछ वाहन तो यहां सालों से खड़े हुए है और जर्जर तक हो चुके है। इसके साथ ही कुछ वाहन मालिक अपने वाहन यहां रोज शाम को पार्क कर देते हैऔर सुबह आकर ले जाते है। इसके साथ ही बाजार में स्थित दुकानदारों द्वारा भी अपने वाहन यहीं खड़े किए जाते है। साथ ही जो लोग बाजार में खरीददारी करने आते है वह भी इसी स्थान पर अपने वाहन खड़ा करते है। इसके चलते यह स्थान अवैध पार्किंग स्थल के रुप में ही इस्तेमाल हो रहा है। जिसे नपा अब वैध करने की तैयारी कर रही है।
बड़े पुल के पास हो चुका है बढ़ा विवाद
पार्किंग की समस्या शहर में कितनी गंभीर है? इसका अंदाज महज एक घटना से ही लग जाता है। घटना गत दिवस की है, जिसमें बड़े पुल के पास स्थित एक बैंक के सामने वाहन खड़ा करने को लेकर कर्मचारी और पास ही स्थित दूसरी बैंक के गार्ड के बीच विवाद हो गया था। यह विवाद इतना बढ़ा था कि दोनों में मारपीट तक हो गई थी। विवाद और गंभीर रुप ले पाता उससे पहले ही आसपास के लोगों और पुलिस ने मौके पर पहुँचकर बीच-बचाव कर स्थिति को संभाला। इसको लेकर शहर कोतवाली में मामला तक दर्ज हुआ।
आप हटाएं, नहीं तो हम हटाएंगे
बापू पार्क में खड़े वाहनों को हटाने के लिए नगर पालिका ने यहां शनिवार को सूचना चस्पा कर दी है। इस सूचना के माध्यम से नपा ने वाहन मालिकों को आगाह किया है। सूचना के मुताबिक जिन लोगों के वाहन यहां खड़े है, या तो वह खुद अपने वाहनों को हटा लें या फिर नपा उन्हे हटाएगी। इस दौरान किसी तरह की टूटफूट वाहन में आने की जिम्मेदारी भी नपा ने लेने से मना कर दिया है।
सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में उठा था मुद्दा
हाल ही में आयोजित सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर चर्चा हुई थी। जिसमें सामने आया था कि बिगड़ी यातायात व्यवस्था का सबसे बड़ा कारण पार्किंग का अभाव होना है। शहर में वाहनों की पार्किंग के लिए एक भी निर्धारित स्थान नहीं है। इसके चलते यहां-तहां वाहन खड़े होते है, जिससे आवागमन की समस्या पैदा होती है और यहीं समस्या थोड़ी ही देर में जाम में तब्दील हो जाती है। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, वहीं दुर्घटना भी सामने आती है। इसी के बाद कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने बापू पार्क परिसर एवं पशु चिकित्सालय परिसर में सशुल्क पार्किंग व्यवस्था शुरु करने के निर्देश दिए थे।
पखवाड़े भर तक किया जाएगा अभ्यास
बताया जाता है कि सशुल्क पार्किंग व्यवस्था को लेकर नगर पालिका पखवाड़े भर तक अभ्यास करेगी। यानि इस अवधि में नगर पालिका व्यवस्था का संचालन सीधे तौर पर खुद करेगी। इस बीच अगर व्यवस्था सुविधा के साथ ही राजस्व के लिहाज से भी प्रभावी साबित होती है तो नगर पालिका इस हेतु ठेका व्यवस्था लागू करेगी। बकायदा टेंडर निकालकर ठेका दिया जाएगा। पार्किंग शुल्क को लेकर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है। नपा का कहना है कि जो अन्य स्थानों पर पार्किंग शुल्क वसूला जाता है, उसी हिसाब से शुल्क वसूला जाएगा।
बड़ा सवाल: कहां खड़ा करें अपना सवाल?
लंबे समय से वाहन चालकों के सामने यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि वह अपना वाहन कहां खड़ा करें? और इस सवाल का जवाब आज तक उन्हे नहीं मिल पाया है। दरअसल इतने बड़े शहर में पार्किंग के लिए एक ही स्थान निर्धारित नहीं है। यहीं कारण है कि लोगों को अपने वाहन जहां-तहां खड़ा करने पड़ते है और इस पर वह यातायात पुलिस की कार्रवाई का शिकार बनकर आर्थिक नुकसान उठाते है। सबसे ज्यादा समस्या मुख्य बाजार और बड़े पुल के पास आती है। यहां लोगों को अपने वाहन सडक़ पर खड़ा करना पड़ते है। जिससे आवागमन बाधित होता है और जाम की समस्या पैदा होती है। बड़े पुल के पास यातायात पुलिस ने सडक़ पर ही बेरीकेट्स लगाकर पार्किंग की व्यवस्था बनाने का प्रयास किया है, किन्तु यह व्यवस्था कारगार नहीं हो पा रही है। कारण एक तो मौके पर कोई व्यवस्था बनाने नहीं रहता है और दूसरे वाहन इतनी तादाद में रहते है कि निर्धारित स्थान को पार करते हुए सडक़ के बीच तक पहुंच जाते है। ऐसा होता है तो यातायात पुलिस कार्रवाई के लिए पहुंच जाती है। सड़क़ से दोपहिया वाहन उठा लिए जाते है और फिर जुर्माना लगाकर उन्हे छोड़ा जाता है।
