"हिज स्टोरी ऑफ इतिहास": झूठे इतिहास का पर्दाफाश करती फिल्म 30 मई को होने जा रही है रिलीज…

झूठे इतिहास का पर्दाफाश करती फिल्म 30 मई को होने जा रही है रिलीज…
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माही दुबे, गुना: मनप्रीत सिंह धामी द्वारा निर्देशित फिल्म "His Story of Itihaas" 30 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। एक ऐसी फिल्म जो सिर्फ इतिहास के पाठ्यक्रम को नहीं, बल्कि वामपंथी इकोसिस्टम का पर्दाफास करती है। सिनेमाई प्रस्तुति भारतीय इतिहास पर जबरन थोपे गए औपनिवेशिक और वामपंथी दृष्टिकोणों को सीधी चुनौती देती हुई दिखाई देती है।

इस अवसर पर 2400 वर्ष पूर्व आचार्य चाणक्य का यह कथन उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा―

जो राष्ट्र अपना इतिहास याद नहीं रखता, उसे स्वयं इतिहास बनते देर नहीं लगती।

यह आचार्य की केवल एक चेतावनी भर नहीं, बल्कि एक ऐसा सत्यमार्ग है जो प्रत्येक राष्ट्र को उसकी आत्मा से जोड़ता है। जहां भारत का इतिहास अत्यंत समृद्धि एवं वैभवशाली रहा है, उतना ही प्राचीन है जितनी स्वयं मानव सभ्यता। जब ग्रीक, रोम, माया या मिस्र जैसी सभ्यताओं का अस्तित्व नही था, भारत में उपनिषद, विज्ञान, गणित, खगोल, औषधि, संगीत और नाट्य के सिद्धांत गढ़ दिए थे। फिर वह कोनसा भारत है जिसकी खोज 1498 मे वास्को डि गामा ने की थी? यह सब जब हमारे इतिहास व साहित्य में लिखा जा रहा था, तब क्या तत्कालीन सरकार मे बैठे जिम्मेदारों के हाथ नही कांपे? असल मे तो यह सब एक षड्यंत्र के तहत हुआ, अब उस षडयंत्रकारी पुलिंदे की पोल खोलने की आवश्यकता दिखाई देती है, ओर यही कार्य फ़िल्म 'हिज स्टोरी ऑफ इतिहास' का प्रयास है।

स्कूलों मे पढ़ाए जाने वाला इतिहास भ्रामक

दुर्भाग्यवश, जो इतिहास हमें स्कूलों की किताबों में पढ़ाया गया, वह न केवल भ्रमपूर्ण है, बल्कि पूर्वनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है। उदाहरण भारत के असली नायकों की जगह इस्लामी आक्रमणों की क्रूरता के वर्णन की जगह उन्हें नायक बना कर प्रस्तुत करना।

इतिहास को जब किसी प्रकार के एजेंडे के अंतर्गत तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है, तो पढ़ने वाली पीढ़ियों का प्लावन होता है वह आत्म-घृणा से भर उठती है जब हम देखते हैं षड्यंत्र कर हमारे समक्ष कई बार झूठ दोहराया गया― तुम्हारे पूर्वज तो बाहरी थे, तुम्हारा इतिहास पतनगामी कुप्रथाओं एवं भेदभाव से भरा हुआ, तुम्हारी भाषा, ग्रंथ, संस्कृति अति साधारण हैं ओर तुम पर जिन्होंने अत्याचार किये वह महान, जबकि सच कुछ और था।

मजहब के नाम पर हुए भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद, जब राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, तब हमने शिक्षा, संस्कृति और इतिहास को अनदेखा कर दिया। आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने मौलाना आज़ाद, जिसके परिणामस्वरूप, सिस्टमेटिक ढंग से कल्चरल मार्क्सवाद का एजेंडा लागू करते हुए भारत विरोधी विचार ने शिक्षा और संस्कृति के महत्वपूर्ण केंद्रों/संस्थानों पर कब्जा कर भारत के असली गौरव को छुपाकर, एक नकली ओर कृतिम पाठ्यक्रम तैयार किया।

फ़िल्म ‘His Story of Itihaas’, जो 30 मई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी

अब इस ऐतिहासिक और वैचारिक पीड़ा को सिनेमा के माध्यम से उजागर करने आ रही है एक साहसिक फिल्म— ‘His Story of Itihaas’, जो 30 मई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फ़िल्म निर्देशक लेखन मनप्रीत सिंह धामी द्वारा निर्देशित एवं लिखित, अभिनेता सुबोध भावे द्वारा अभिनित यह फिल्म पहले 23 मई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली थी मगर ऑपरेशन सिंदूर के चलते सरकार की गाइडलाइन के तहत इसे स्थगित कर शनिवार, 30 मई 2025 को रिलीज किया जा रहा है। फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया।

यह यात्रा है एक फिजिक्स टीचर की है जो अपनी बेटी के स्कूल इतिहास की पाठ्यपुस्तक में लिखे झूठे तथ्यों को जानकर खुद को ठगा सा महसूस करता है और स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से प्रश्न पूछता है। एक पिता की चिंता के रूप में शुरू होने वाली कहानी जल्द ही व्यवस्था के खिलाफ युद्ध में बदल जाती है। जहां सच्चाई षड्यंत्र, राजनीति, भय और साक्ष्यों के हेरफेर के नीचे दबी होती है।

पंचकर्मा फिल्म्स द्वारा निर्मित 'हिज स्टोरी ऑफ इतिहास' में कलाकार आकांक्षा पांडे, किशा अरोड़ा, अंकुल विकल और योगेंद्र टिक्कू हैं। ट्रेलर में प्रस्तुत फ़िल्म का संवाद बेहद ही प्रभावी ढंग से वर्तमान स्थिति को उजागर करता है।

हाल ही में निर्देशक मनप्रीत सिंह धामी से फोन पर हुई बात-चीत मे उन्होंने बताया, कि इस फिल्म की पटकथा ओर रिसर्च उनके चार साल के संघर्ष की यात्रा है, भारतीय इतिहास से जुड़े प्रश्न उन्हें कचोटते थे ओर उन्हें ऐसा कुछ करना था जो भारतीय इतिहास से साथ हुए षड्यंत सबके सामने ला सके।

फ़िल्म के ट्रेलर में 'थॉमस बैबिंगटन मैकाले' द्वारा प्रतिपादित भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समझने उनके "Minutes on Indian Education" में व्यक्त विचारों को भी दिखाया गया है, जिसका मूल उद्देश्य―

"We will create an education system in India so that future Indian will be only Indian in colour but will be English in taste, intelect, habit and language."

यह कथन सुनने के बाद दर्शकों के रोंगटे खड़े हो उठते हैं, यह आज भी भारत की शिक्षा व्यवस्था पर औपनिवेशिक प्रभाव को दर्शाता है। इतिहास का यह अंधकार अब और सहन नहीं किया जा सकता। आज आवश्यकता है उन झूठे पन्नों को जलाकर, भारत के वास्तविक इतिहास को पुनः स्थापित करने की– जिसमें भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण (जिन्हें धार्मिक नायक कह कर सीमित कर दिया गया), चाणक्य, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, बिरसा मुंडा, महारानी लक्ष्मीबाई, गुरु गोविंद सिंह जी, भगत सिंह, डॉ हेडगेवार, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और न जाने कितने अनगिनत बलिदानी है हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बने।

नई शिक्षा नीति से भारत को अपनी संस्कृत जड़ों से जोड़ने का प्रयास

आज जब वर्तमान सरकार नई शिक्षा नीति (NEP) को लागू कर रही है, जिसका मूल उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम बदलना नहीं, बल्कि भारत को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से पुनः जोड़ कर सास्कृतिक अभ्युदय करना है। यह नीति मार्क्सवादी मानसिकता से ग्रसित शिक्षा प्रणाली को पीछे छोड़कर एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना चाहती है जो भारतीय ज्ञान परंपरा ओर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना को केंद्र में रखे।

निश्चित ही, 'हिज स्टोरी ऑफ इतिहास' एक मस्ट वॉच फ़िल्म है यह हमारी आंखों से भ्रम के काले चश्मे हटा कर और भारत विरोधी ताकतों द्वारा किए गए षडयंत्रों को समझने में सहायक होगी। फ़िल्म की समस्त टीम साधुबाद की पात्र है।

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