विश्व फोटोग्राफी दिवस : 'ए पिक्चर वर्थ ए थाउजेंड वर्ड्स'

विश्व फोटोग्राफी दिवस : ए पिक्चर वर्थ ए थाउजेंड वर्ड्स
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Image Credit : Wikipedia

आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है जिसका इतिहास आपको भी शायद ही पता होगा। आजकल हर कोई फोटोग्राफी करने में लगा हुआ है। और हर किसी पर फोटोग्राफी का भूत सवार है। सामान्यतया फोटोग्राफी यादों को संजोने का एक माध्यम है, लेकिन रचनात्मकता और कल्पनाशीलता के प्रयोग से यह खुद को व्यक्त करने और रोजगार का एक सशक्त और बेहतर साधन भी बन सकता है।

फोटोग्राफी या छायाचित्रण संचार का ऐसा एकमात्र माध्यम है जिसमें भाषा की आवश्यकता नहीं होती है। यह बिना शाब्दिक भाषा के अपनी बात पहुंचाने की कला है। इसलिए शायद ठीक ही कहा जाता है 'ए पिक्चर वर्थ ए थाउजेंड वर्ड्स' यानी एक फोटो दस हजार शब्दों के बराबर होती है। फोटोग्राफी एक कला है जिसमें फोटो खींचने वाले व्यक्ति में दृश्यात्मक योग्यता यानी दृष्टिकोण व फोटो खींचने की कला के साथ ही तकनीकी ज्ञान भी होना चाहिए। और इस कला को वही समझ सकता है, जिसे मूकभाषा भी आती हो।

'फोटोग्राफी' यह एक ग्रीक शब्द है, जिसकी उत्पत्ति फोटोज (लाइट) और ग्राफीन यानी उसे खींचने से हुई है। हालांकि इससे पूर्व 1826 में नाइसफोर ने हेलियोग्राफी के तरीके से पहले ज्ञात स्थायी इमेज को कैद किया था। ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस ढूँढ लिया था। 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर का आविष्कार किया जिससे खींचे चित्र को स्थायी रूप में रखने की सुविधा प्राप्त हुई।

सर्वप्रथम 1839 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेकस तथा मेंडे डाग्युरे ने फोटो तत्व को खोजने का दावा किया था। फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गो ने 9 जनवरी 1839 को फ्रेंच अकादमी ऑफ साइंस के लिए इस पर एक रिपोर्ट तैयार की। फ्रांस सरकार ने यह "डाग्युरे टाइप प्रोसेस" रिपोर्ट खरीदकर उसे आम लोगों के लिए 19 अगस्त 1939 को फ्री घोषित किया और इस आविष्कार को 'विश्व को मुफ्त' मुहैया कराते हुए इसका पेटेंट खरीदा था। यही कारण है कि 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। 1839 में ही वैज्ञानिक सर जॉन एफ डब्ल्यू हश्रेल ने पहली बार 'फोटोग्राफी' शब्द का इस्तेमाल किया था।

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