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संशय के बादल, भाजपा के लिए अशुभ

नगरीय निकाय चुनाव पर टिप्पणी

संशय के बादल, भाजपा के लिए अशुभ
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ग्वालियर / वेब डेस्क। विनोद सोनी हैं एक फल विके्रता। माधवगंज लश्कर क्षेत्र में रहते हैं। सुबह छत्री पार्क के सामने ठेला लगाते हैं। आज सुबह मैंने उनसे बात की। चुनावी नतीजों को लेकर। बोले- 'फूल जीतेगा, माहौल भले ही किसी का दिखाई दे। मोदी शिवराज ने घर-घर गरीब को राशन दिया है। वोट मिलेगा। पर बाबूजी मेहनत नहीं की पार्टी ने।' विनोद राजनेता नहीं हैं। पर उनकी टिप्पणी किसी परिपव राजनेता से कम नहीं है। भाजपा महापौर प्रत्याशी श्रीमती सुमन शर्मा एवं कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती शोभा सिकरवार में संगठन की ताकत के आधार पर कोई तुलना ही नहीं है। श्रीमती सिकरवार सिर्फ अपने परिवार और विशेषकर विधायक सतीश सिकरवार की दम पर मैदान में थीं। इधर, भाजपा प्रत्याशी सुमन शर्मा के साथ सरकार और संगठन की ताकत थी।

बावजूद इसकेपरिणाम पर संशय के बादल भाजपा नेतृत्व के लिए शुभ नहीं हैं।

वरिष्ठ नेता राज चड्ढा की फेसबुक पोस्ट कहती है कि - सबसे ज्यादा और बड़े नेता ग्वालियर में हैं और मतदान प्रतिशत फिर भी कम, आखिर क्यों? इसका जवाब पार्टी के ही वरिष्ठ नेता देते हैं। पर नाम न छापने की शर्त लगाते हैं। वह कहते हैं हर नेता श्रेय की होड़ में था कि मैंने सुमन को जिताया, उसकी चिंता जमीन पर काम करने की थी ही नहीं।

भाजपा के संपूर्ण प्रचार अभियान पर नजर डालें तो बात में दम दिखाई देती है। सुबह से देर रात तक पार्टी के कई बड़े नेता सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहे। मैदान से नरारद। वह अपनी ही बात रखने में ऊर्जा लगाते रहे। पर उन्हें यह देखने की फुर्सत नहीं थी कि उन्हीं की पोस्ट में उन्हीं को आईना दिखाया जा रहा है। यही नहीं चुनाव कार्यालय में अंतहीन बैठकों का दौर और अपनी लाइन बड़ी रखने में दिग्गजों ने अपना समय अधिक जाया किया है, यह ध्यान में आया। बेशक मतदान पर्ची ठीक से नहीं बटी। यह प्रशासन की गलती है। पर या 'एक बूथ टेन यूथ' 'बूथ जीता तो हम जीते' का नारा लगवाने या लगाने वाले अपने-अपने वार्डों में मतदान केन्द्रों की जमीनी स्थिति जानने में क्यों विफल रहे? यह प्रश्न नेतृत्व को कड़ाई से पूछना चाहिए। आखिर यों अधिकांश पार्षदों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया? क्यों प्रभारी मंत्री की सक्रियता सिर्फ चंद वार्डों में ही देखी गई? क्यों भाजपा बागी प्रत्याशियों को मनाने में विफल रही? बेशक महापौर प्रत्याशी एक- एक वार्ड के एक-एक घर तक पहुंचे, यह संभव नहीं था। पर या पार्षदों के साथ एक वरिष्ठ नेता हर वार्ड में घर-घर नहीं जा सकता था..। क्या यह रणनीति बनाने में कहीं चूक हुई है?

यह विचार करने का विषय होना चाहिए कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के रोड शो, सभाएं केन्द्रीय मंत्री द्वय नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सांसद विवेक शेजवलकर, मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसी सिलावट वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, पूर्व मंत्री माया सिंह सहित दिग्गजों के अनथक प्रयास के सामने, कांग्रेस में सिर्फ सिकरवार परिवार था। बीच चुनाव में विधायक सतीश सिकरवार अस्वस्थ हो गए। जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा, विधायक प्रवीण पाठक एवं वरिष्ठ नेता अशोक सिंह की सक्रियता का अनुमान जगजाहिर है। मात्र एक सभा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की हुई। पर फिर भी अगर टकर की बात है तो यह आश्चर्यजनक है। यही नहीं भाजपा आम आदमी पार्टी को भी समझने में भूल कर गई। वोट कितने मिलेंगे। अभी यह अनुमान ही है। पर यह भी रुझान सामने आ रहा है कि वोट सिर्फ कांगेस का नहीं कटा है, भाजपा के वोट में भी सेंध लगी है।

दिल्ली, पंजाब का झूठ ग्वालियर की हवाओं में घुल रहा है। दीनदयाल नगर स्थित एक गुमटी चलाने वाले राकेश चौहान कहते हैं भाजपा टैस पार्टी है, अब झाडू चलेगी। परिणाम 17 जुलाई को आएगा। या आएगा, इस पर भाजपा नेतृत्व ही उत्साहित नहीं है। संभव है अनुकूल आए। पर नवंबर 2023 दूर नहीं है। कान खड़े हो जाने चाहिए।

Updated : 9 July 2022 1:05 PM GMT
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