Home > एक्सक्लूसिव > शांतिप्रिय (?) लोगों का शांतिपूर्ण (?) प्रदर्शन

शांतिप्रिय (?) लोगों का शांतिपूर्ण (?) प्रदर्शन

नवल गर्ग

शांतिप्रिय (?) लोगों का शांतिपूर्ण (?) प्रदर्शन
X

बलिहारी है शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों की। संविधान की ओट लेकर, संविधान की रक्षा की बात करते रहने वाले ये शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी शायद हिंसा, आगजनी और अमानवीय कृत्यों को ही शांतिपूर्ण कृत्य मानते हों। यह समझ में नहीं आता कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के घरों से पत्थरों का जखीरा, एसिड बम, पैट्रोल बम, हिंसा के बाद मारे हुए लोगों के शव, उनके घरों के आसपास ही नाली, नालों में फेंके गए शव कैसे और क्यों बरामद होने लगते हैं?

यह कैसा संविधान पोषक आंदोलन है जो शांति के नाम पर घनघोर अशांति, हिंसा को भी पाल लेता है, फिर भी शांतिपूर्ण बना रहता है। संवैधानिक मान्यताओं को दिनोंदिन ध्वस्त करते हुए भी स्वयं राष्ट्रीय ध्वज थामे ये आंदोलनकारी वस्तुत: इसकी आड़ में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में ही क्यों संलग्न हैं?

इन अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर यों तो सभी जानते हैं पर इनके ढोंग और दिखावे के चलते दिखावे की राजनीति के पोषक इनके मंसूबों से अनजान बने रहकर शासन और प्रशासन को कोसते रहते हैं, शायद इनकी शिष्टता और संस्कार इन्हें यही सिखाते रहे हैं, शायद इनकी दुकानों के इश्तिहार भी यही हैं पर इससे देश के अमन चैन और आपसी सद्व्यवहार को जो क्षति हो रही है उसके लिए जो भी जिम्मेदार हों पर उनका दिखावटी चेहरा मानवता का और कितना अधिक नुक्सान करके कब बेनकाब होगा यह अवश्य चिंता का विषय होना चाहिए।

हर कोई मिलता है यहां पहन कर नकाब...!

कैसे पहचाने कोई, कौन है अच्छा और कौन है खराब...!!

फिर भला कैसे बेनकाब हो सकेंगे अमन और शान्ति का खूबसूरत नकाब पहने अशान्ति और हिंसा के खौफनाक, वीभत्स चेहरे? पुलिसकर्मियों पर गोली चलाकर, उन्हें बेमौत मारकर क्या सिद्ध करना चाहते हैं ये तथाकथित संविधान की रक्षा (?) को तड़प रहे ये अमानवीय मंसूबे?

देश का मान और सम्मान इन्हें फूटी आंख नहीं सुहाता। कोई बड़ी ऐतिहासिक घटना हमारे यहां होने जा रही हो तो इनके चेहरे पर मायूसी छा जाती है। देश की तरक्की की खबर से इनका खून पीला पड़ जाता है। विश्व के बड़े देश का बड़ा नेता यदि हमारे प्रधानमंत्री जी को विश्व का महान नेता कह कर पुकारे तो इन संविधान पोषकों के चेहरे पर हवाइयां उडऩे लगती हैं। दुश्मन देश का परिंदा भी हमारे खिलाफ कांव-कांव कर दे तो ये उसके शब्दों को अपने मुंह में सजा कर वही दोहराने लगते हैं बड़ी ठसक के साथ। यह है इनकी राष्ट्रभक्ति- यह है इनका देशप्रेम! और आश्चर्य तो यह है कि हम सब इनकी हरकतों को समझ रहे हैं, इनके ढोल के पोल होने की असलियत सबको मालूम है पर इस सच को उजागर करने वाला इनकी और इनके अनुयायियों की नजर में महापापी है, वैसा ही उसे प्रचारित भी कर दिया जाता है।

देश का गृहमंत्री परेशान है अपने बारे में इनके मुंह से आग उगलती फुलझडिय़ों को देखकर। जो शीघ्रता से हालात पर काबू करने के लिए बेताब है उसे ही हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए तो इसे कौन स्वीकार करेगा भला?

हम में से कौन अकारण हिंसा और वीभत्स अमानवीय कृत्यों का समर्थन करते हुए जन सामान्य को भयग्रस्त करने का हामी होगा। कौन लगभग 40 सिविलियन की बेदर्द मौत, ड्यूटी पर तैनात निर्दोष पुलिसकर्मियों की मौत की घटनाओं और उन्हें घायल करते जाने का समर्थन करेगा? कांग्रेस के नेतागण भले ही पाक प्रधानमंत्री इमरान के सुर में सुर मिलाकर, केवल सम्प्रदाय विशेष से सम्बन्धित पीडि़त व मृत व्यक्तियों के लिए चिंता, दुख और शोक प्रगट करते आसमान सिर पर उठाते हुए हो हल्ला करते रहें पर असलियत तो सभी जानते हैं। यह जनता है सब जानती है।

ताजा दिल्ली हिंसा में अफवाह और उत्तेजित करने वाले बयानों का भी महत्वपूर्ण हाथ है। जैसा कि ऊपर भी लिखा है सम्प्रदाय विशेष के जनप्रतिनिधि के घर की छतों पर हिंसा को भयावह बनाने वाले जो संसाधन मिले हैं वे शांतिप्रियता का नकाब ओढ़े नेताओं के मंसूबों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं। यह भी असम्भव नहीं लगता कि कदाचित केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को बदनाम करने के लिए विपक्षी नेताओं के कुत्सित मंसूबों का परिणाम यह हिंसा हो।

जो भी हो इसे उकसाने वाले स्वयं को चाहे जितना शांति प्रिय प्रदर्शन का पुरोधा कहें - वास्तव में वे शांति व अमन के प्रति ईमानदारी से लगाव रखने वाले तो कतई नहीं हैं। सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री सहित भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं का यही उसूल है --

अगरबत्ती की तरह, तुम्हें खुशबू ही देंगे....!

तुम शौक से चाहे जितना भी जला लो हमें....!!

लेकिन निर्दोष जनता इनके षड्यंत्रों में फंसकर, कब तक शांतिपूर्वक प्रदर्शनों के नाम पर हो रहे हिंसा के ताण्डव को सहन करती रहेगी। इसका निदान और कुत्सित इरादों का बेनकाब होना तो बेहद जरूरी है।

Updated : 1 March 2020 8:12 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top