पाकिस्तान का मंत्रिमंडल और कट्टरवादिता

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 18 अगस्त 2018 को इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की पाकिस्तान में तुलनात्मक रूप से नवगठित पाकिस्तान तहरीक ऐ इंसाफ जैसी पार्टी के लिए यह एक बड़ी सफलता ही मानी जायेगी कि करीब 20 वर्षों में वह सत्ता के शिखर पर पहुँचने में कामयाब रही। इस दौरान इस पार्टी में अनेकों भिन्न और कई परस्पर विरोधी विचारधारा वाले राजनेता भी आये और 20 अगस्त को इमरान खान के नवगठित मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण में यह वैचारिक विविधता स्पष्ट रूप से देखने में आई। 21 सदस्यीय इस मंत्रिमंडल में 16 मंत्री और 5 सलाहकार रखे गए हैं इनमें परस्पर विरोधी राजनैतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं और उनमे अधिकतर के लिए समानता का सबसे बड़ा सूत्र यह हो सकता है कि वे पहले पूर्व तानाशाह जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ के शासन में महत्वपूर्ण पदों पर थे। मंत्रिमंडल में जहां कुछ मंत्री और सलाहकार अपने विषय के विशेषज्ञ के रूप में लब्धप्रतिष्ठित हैं वहीं दूसरी ओर अधिकतर के पास इस क्षेत्र का कोई विशेष अनुभव नहीं और यह माना जा सकता है कि केवल राजनैतिक आवश्यकताओं के कारण वे वहां हैं। इस मंत्रिमंडल में मोहम्मद फरोग नसीम को कानून और न्याय मंत्री बनाया गया है। बैरिस्टर नसीम संवैधानिक विधि के वकील हैं। वह सिंध के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल का पद धारण करने वाले व्यक्ति रहे हैं। फरोग मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (पाकिस्तान) का हिस्सा हैं और खास बात यह कि वह राजद्रोह मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के कानूनी सलाहकार भी रहे हैं।
नए मंत्रिमंडल में पीटीआई के असद उमर वित्त, राजस्व और आर्थिक मामलों के मंत्रालय के मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। असद उमर पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद उमर के पुत्र हैं जो 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान सेना का हिस्सा थे। यह पाकिस्तान की बदनाम मिलिट्री इकॉनमी का सक्रिय हिस्सा रहे हैं। एक ऐसी ही कम्पनी एनेर्गो पॉलीमर एंड केमिकल्स के वे सीईओ भी रह चुके हैं। पाकिस्तान में इस बार तीन महिलाओं को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। प्रचलित परम्पराओं से भिन्न इस बार एक महिला को रक्षा उत्पादन मंत्री बनाया गया है। बलूचिस्तान अवामी पार्टी से जुडी जुबैदा जलाल ने बलूचिस्तान से नेशनल असेंबली के लिए एकमात्र महिला उम्मीदवार बनने के बाद इतिहास बनाया है । उल्लेखनीय है कि जलाल प्रधान मंत्री शौकत अजीज के कैबिनेट में संघीय शिक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं । जुबैदा जलाल को जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन के सबसे प्रबुद्ध चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया जाता था।
मुस्लिम दुनिया में पहली महिला स्पीकर, जिन्होंने 2008 से 2013 तक पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के 18 वें स्पीकर के रूप में कार्य किया, वर्तमान में ग्रांड डेमोक्रेटिक एलायंस की फेमिदा मिर्जा अन्तरप्रांतीय समन्वय की मंत्री के रूप में कार्य करेंगीं। सैन्य विज्ञानं की गंभीर अध्येता शिरीन मजारी को मानवाधिकार से सम्बंधित मामलों का मंत्री बनाया गया है। मजारी ने पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार द नेशन के संपादक के रूप में भी कार्य किया लेकिन नवंबर 2008 में उसे छोड़ कर पीटीआई में शामिल हो गईं तब से, वह इमरान खान की करीबी सहयोगी बनी हुई हैं।
मुशर्रफ के करीबी रहे अवामी मुस्लिम लीग के प्रमुख शेख रशीद अहमद रेलवे मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। अहमद, मुशर्रफ के शासन काल में भी रेल मंत्री का दायित्व उठा चुके हैं। अहमद, पंजाब के फतेह जंग में जिहादी शिविर चला चुके हैं , जहां लगभग 3,500 जिहादियों को प्रशिक्षित किया गया था। हालांकि अहमद ने ऐसे किसी शिविर को चलाने से इंकार किया था। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान संयोजक खालिद मकबूल सिद्दीकी को सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री का जिम्मा सौंपा गया है। सिविल सर्वेंट रहे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के शाफकत महमूद संघीय शिक्षा और विरासत मंत्री के रूप में कार्य करेंगे।1990 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) में अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की और 1999 के पाकिस्तानी तख्तापलट के बाद वह पाला बदल कर सैन्य सरकार का हिस्सा बन गए और पाकिस्तान तेहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और इसके प्रमुख इमरान खान की लगातार कटु आलोचना करते रहे। वह नवंबर 2011 में उसी पीटीआई में शामिल हो गए।
इसके अलावा पाकिस्तान के नए मंत्रिमंडल में कुछ ऐसे नेताओं को भी शामिल गया है जिन्हें कोई विशेष कार्य अनुभव नहीं है। पीटीआई के प्रवक्ता रहे फवाद चौधरी सूचना, प्रसारण और राष्ट्रीय विरासत के मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। चौधरी पंजाब के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से संबंधित है उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज अशरफ के कैबिनेट में विशेष सहायक के रूप में कार्य किया था। पाकिस्तान तेहरीक-ए-इंसाफ नेता आमिर मेहमूद कयानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं, विनिमयों और समन्वय मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। पीटीआई के ही गुलाम सरवर खान को पेट्रोलियम मंत्रालय दिया गया है। 2004 में वे भी प्रधान मंत्री शौकत अजीज के कैबिनेट में शामिल रहे थे। ये गुलाम सरवर खान ही हैं जिन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग के असंतुष्ट, हैवीवेट नेता चौधरी निसार अली को पराजित किया है।
नए मंत्रिमंडल में मंत्रियों के साथ ही साथ कुछ सलाहकारों की नियुक्तियां भी की गई हैं। इनमें खैबर पख्तुनख्वा के पूर्व मुख्य सचिव और राज्य और फ्रंटियर क्षेत्र (सैफ्रॉन) मंत्रालय के पूर्व संघीय सचिव मोहम्मद शहजाद अरबाब को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है। प्रसिद्ध अर्थ विशेषज्ञ अब्दुल रज्जाक दाऊद को वाणिज्य, वस्त्र, उद्योग, उत्पादन और निवेश पर प्रधान मंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि अब्दुल रज्जाक प्रसिद्ध उद्योगपति सेठ अहमद दाऊद के भतीजे और डेस्कॉन व्यापार समूह के संस्थापक हैं। 1999 से 2002 तक पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शासन काल में वाणिज्य मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। डॉ इशरत हुसैन इंस्टीट्यूशनल रिफॉर्म्स और मितव्ययिता पर पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री के सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे। उन्होंने मुशर्रफ के शासनकाल में 1999 से 2006 तक स्टेट बैंक आॅफ पाकिस्तान के गवर्नर के रूप में कार्य किया है। अमीन असलम जलवायु परिवर्तन पर प्रधान मंत्री के सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे। असलम ने भी पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शासन के दौरान पर्यावरण राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था। आसिफ अली जरदारी के घनिष्ठ सहयोगी रहे जहीर-उद-दीन बाबर आवान संसदीय मामलों पर प्रधान मंत्री के सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे। 2008 में आवान को संसदीय मामलों के मंत्री और कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 21 जून, 2017 को इमरान की अगुवाई वाली पीटीआई में शामिल हो गए, और तब से पार्टी से संबद्ध हैं।
इस मंत्रिमंडल को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुशर्रफ युग की वापसी हो रही है। इमरान खान की जीत में सेना का सबसे बड़ा हाथ रहा है और ऐसी स्थिति में इमरान को इसका मूल्य चुकाना स्वाभाविक ही है। पाकिस्तान की सेना किसी भी बदलाव की सख्त विरोधी है जो उसकी स्थिति के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में मंत्रिमंडल में भी यही भावना परिलक्षित होती दिखाई देती है। चुने गए अधिकांश मंत्रियों में शेख रशीद, डॉ जुबैदा जलाल, डॉ खालिद मकबूल, डॉ फरोग नसीम, परवेज खट्टक और शिरीन मजारी जैसे रूढि़वादी शामिल हैं, जो पीटीआई के बदलाव की नीति से कोई लेना देना नहीं रखते और नए पाकिस्तान जैसी किसी भावना को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। इनमे भारत से विरोध की एक सामान्य धारणा है जो कि पाकिस्तान की सेना की अधिकृत नीति के अनुरूप ही है ऐसी स्थिति में यह नई सरकार भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने के कितने प्रयास करती है और कितनी सफल होती है यह समय ही बताएगा।
नए मंत्रिमंडल में देश के अल्पसंख्यक समूहों से एक सदस्य को भी शामिल नहीं किया गया है, यहाँ तक कि इंटरफेथ सद्भाव के मंत्रालय के लिए एक हिंदू, ईसाई या पारसी के नाम पर विचार तक नहीं किया गया। शिरीन मजारी जैसी सेना की अंधभक्त पाकिस्तान के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मंत्री बनाई गयी हैं जो अत्यधिक हास्यास्पद है। इस मंत्रिमंडल के मंत्रियों के आपस में भूतकाल में कटु सम्बन्ध रहे हैं ऐसे में मंत्रिमंडल कैसे टीम के रूप में काम करता है यह इमरान के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
