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मित्रता दिवस विशेष : हंसकर मुस्कुराकर जो, स्वयं ही बन जाते हैं...

  • प्रतिभा दुबे

मित्रता दिवस विशेष : हंसकर मुस्कुराकर जो, स्वयं ही बन जाते हैं...
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हंसकर मुस्कुराकर जो, स्वयं ही बन जाते है!

मन से मन मिलता है और दिल खिल जाते है

सच्चे रिश्ते ये प्यार भरे , मित्रता कहलाते है !

धूप छांव जो भी मिले स्वयं ही पनप जाते हैं ।।

जैसे परिवार हमारे लिए महत्वपूर्ण है!

जीवन में मित्रता के बिना हम अपूर्ण है।

संबंधों में निस्वार्थ संबंध है मित्रता का !

देता ये सभी को खुशी संग सुकून है ।।

जब भी निराशा आती है जीवन में कभी

मित्रता कृष्ण के जैसे ही साथ निभाती है!

हर कठिनाई में मार्गदर्शन करती है आपका

सच्ची मित्रता हर परिस्थिति साथ निभाती है।।

निस्वार्थ सा है जिंदगी में मित्रता का रंग

परंतु यह खुशी के फूल हर पल खिलाती है,

यह मित्रता ही जीवन मैं हमको प्रेम और

समर्पण की भावना से परिचित कराती है ।।

***

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)

ग्वालियर मध्य प्रदेश

Updated : 1 Aug 2021 5:23 PM GMT
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