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हार्वर्ड, स्टेनफोर्ड से शिक्षित ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये है राजनीतिक सफर...

हार्वर्ड, स्टेनफोर्ड से शिक्षित ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये है राजनीतिक सफर...
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वेबडेस्क। आज 10 मार्च 2020 की तारीख कई कारणों से बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। जहां एक ओर पूरा देश होली के रंग में रंग कर इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मना रहा है। और आज पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं ग्वालियर के पूर्व महाराज स्व. माधवराव सिंधिया की 75वीं जयंती भी है। आज का दिन होली एवं माधवराव सिंधिया की जयंती से ज्यादा उनके बेटे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने से राजनीतिक रूप से और महत्वपूर्ण हो गई है। कांग्रेस के नेता इस तारीख और साल 2020 की होली को शायद ही भूल पायें।

जन्म के बाद महीनों चला जश्न -

ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राजघराने की तीसरी पीढ़ी के नेता हैं और अपने घर ग्वालियर एवं मध्यप्रदेश की राजनीति में गहरी पकड़ रखते हैं। सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को स्व.माधवराव सिंधिया एवं माधवीराजे सिंधिया की दूसरी संतान के रूप में मुंबई के समुद्रमहल में हुआ था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के जन्म पर कई महीनों तक ग्वालियर में जश्न मनाया गया क्योंकि उनके जन्म के साथ ही ग्वालियर राजघराने को अपना वारिस मिल गया था।

ऐसे मिला ज्योतिरादित्य नाम -

सिंधिया के नामकरण को लेकर एक किस्सा प्रचलित है की उनकी दादी राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया अपने नाती का नाम भगवान् ज्योतिबा के नाम पर रखना चाहती थी। जबकि सिंधिया के माता-पिता उनका नाम विक्रमादित्य रखना चाहते थे। ऐसी स्थिति में उनके परिवार ने दोनों नामों में सामंजस्य बनाते हुए ज्योतिरादित्य रखने का निर्णय लिया। ज्योतिरादित्य की एक बड़ी बहन भी है, जिनका नाम चित्रांगदा है और वह कश्मीर नरेश के बेटे की पत्नी हैं।




हार्वर्ड, स्टेनफोर्ड से ली शिक्षा -

अपने पिता माधवराव की भांति ज्योतिरादित्य भी क्रिकेट और गोल्फ खलने के शौक़ीन हैं। उन्होंने साल 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री ली। इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रुजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया। ज्योतिरादित्य की शादी साल 1994 में बड़ौदा के गायकवाड़ राजघराने की राजकुमारी प्रियदर्शिनी से हुई है और उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा महा आर्यमान और बेटी अनन्याराजे।




पिता से विरासत में मिली राजनीति-

सिंधिया का राजनीतिक सफर उनके पिता माधवराव सिंधिया की विमान हादसे में अचानक हुई मृत्यु के बाद शुरू हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया अपने समय के दिग्गज कांग्रेस नेता थे। उनका राजनीतिक सफर जनसंघ से शुरू हुआ था। उन्होंने जनसंघ के टिकट से पहला चुनाव लड़ा था बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 30 सितंबर 2001 को विमान हादसे में अपने पिता की मौत के बाद सिंधिया औपचारिक राजतिलक हुआ। इसके बाद उन्होंने राजनीति में उतरने का फैसला किया और अपने परिवार की पारंपरिक गुना सीट से पहला चुनाव लड़कर संसद पहुंचे।

प्रदेश में कांग्रेस की कराई थी वापसी -

साल 2004 में भी उन्होंने दूसरी बार इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की एवं साल 2007 में पहली बार सिंधिया ने केंद्रीय राज्य मंत्री का पदभार संभाला। 2014 के लोकसभा चुनाव मोदी लहर के बावजूद गुना से जीत कर संसद पहुंचे थे। इसके बाद साल 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाते हुए प्रदेश में कांग्रेस की 15 साल बाद सत्ता में वापसी कराई थी। हालांकि इसके बाद वह साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे।

कांग्रेस का छोड़ा दामन -

साल 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार में अहम भूमिका निभाने वाले सिंधिया की प्रदेश एवं देश की राजनीति में उनकी पार्टी द्वारा लगातार की जा रहीं अनदेखी के चलते उन्होंने आज कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ दिया। कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 18 साल कांग्रेस का साथ निभाने के बाद यह फैसला लिया हैं।




Updated : 12 March 2020 6:55 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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