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चीन की चाल पर भारत ने कसी लगाम

-तिगड़ी का कूटनीतिक कमाल

चीन की चाल पर भारत ने कसी लगाम
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नई दिल्ली। चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी हरकत के चलते एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तिगड़ी ने कूटनीतिक कमाल करके चीन द्वारा भारतीय सीमा में बढाए गए कदमों को वापस खींचने पर मजबूर कर दिया। इस अप्रत्याशित घटना को संयोग कहें या साजिश कि अक्साई चीन सीमा सीमा क्षेत्र विवाद की नींव रखने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि के दौरान घटना को अंजाम दिया गया। लेकिनए सीमाओं की पल.पल निगरानी रखने वाले सशक्त चैकीदार ने चीन को उसी के दांव में फंसाकर चित कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की तिगड़ी यानि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभालए विदेश मंत्री एसण् जयशंकर और सीडीएस बिपिन रावत ने बेहद नाजुक मो? पर देश को संकट से उबार लिया। चीन की सेना के ब?ते दुस्साहस के कारण भारत की ओर से यह दिन.रात का रेस्क्यू ऑपरेशन था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनएसए द्वारा सभी घटनाक्रमों के बारे में पल.पल की खबर दी जा रही थी। बात इस हद तक ब? गई थी कि दोनों ओर से युद्ध की संभावना से नकारा नही जा रहा था। लेकिन तिगड़ी के कूटनीतिक कमाल ने 24 घंटे के अंदर ही स्थिति को बदल कर रख दिया। हैरत वाली बात तो यह है कि विवादों को खत्म करने की पहल खुद चीन द्वारा की गई है। इससे पहले कि अमेरिका मध्यस्थता को लेकर बीच में टांग अ?ाताए भारत.चीन ने आपस में ही मामला सुलझा लिया। चीन को इस असहज स्थिति में लाने के पीछे मुख्य भूमिका विदेश मंत्री जयशंकर ने निभाई है इसके लिए उन्होंने पिछले अनुभवों का बखूवी इस्तेमाल किया है। जयशंकर ने चीनी दूत सुन वेइदॉन्ग के साथ व्यक्तिगत संबंधों का भी लाभ उठायाए जिन्होंने 2009 से 2013 तक बीजिंग में भारत के राजदूत के रूप में तैनात होने पर एक्सटर्नल अफेयर्स मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया था।

मोदी सरकार ने हाल के दिनों में ऐतिहासिक निर्णय लेकर समची दुनिया को छका दिया है। इस बीच अन्य देशों की मध्यस्थता की माँग को ठुकराकर उन्होंने संदेश दिया है कि भारत अब इतना सक्षम और शक्तिशाली है कि वह अपने भाग्य का फैसला स्वयं करना जनता है।

दरअसलए भारत और चीन के बीच करीब 3ए500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा ;एलएसीद्ध सीमा पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में चीन की सेना ने हाल ही में सैन्य ठिकानों का निर्माण किया है। चीन लंबे समय से उस क्षेत्र में सड़क निर्माण को अंजाम दे रहा था। कोरोना वायरसए ताईवानए हॉन्गकॉन्ग और दक्षिण चीन सागर को लेकर हर और से बैकफुट पर खडा चीन भारत को अपना रुख ढीला करने पर मजबूर कर दुनिया को अपने वर्चस्व का संकेत देना चाहता था। उसने नेपाल से लेकर अपने प्राचीन मित्र पाकिस्तान तक का सहारा भी लिया। लेकिन चीन के हाथ सिर्फ और सिर्फ फजीहत ही लगी है।

Updated : 29 May 2020 5:39 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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