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लंदन में सड़कें वीरान, भारत से है उम्मीद

ब्रिटेन से परीन सोमानी की रिपोर्ट

लंदन में सड़कें वीरान, भारत से है उम्मीद
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लंदन। कोरोना विषाणु (कोविड -19) जैसी वैश्विक महामारी के संकट से जूझ रहा समूचा वैश्विक समुदाय आज आजीबो-गरीब स्थिति में पहुंच गया है। दुनिया के बड़े से बड़े वैज्ञानिक, शोध संस्थान और आविष्कारक इस विषाणु के समक्ष बौने साबित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना विषाणु अपने पूरे परिवार सहित वातावरण को इस कदर दूषित कर रहा है कि मनुष्य तो क्या, जानवरों के लिए भी यह विषाणु भयावह बीमारी का श्रोत बन गया है। मानव में कोरोना विषाणु संक्रमित होते ही पहले यह श्वसन प्रणाली को अवरूद्ध करता है फिर फेंफड़ों को कमजोर करते हुए श्वास की गति रोक देता है, जिससे मनुष्य की मौत तक हो जाती है। दुर्भाग्य से कोई भी देश अब तक कोविड-19 पर नियंत्रण लाने कोई वैक्सीन नहीं खोज पाया है। इसके विस्तार व प्रभाव को कम करने के लिए सामाजिक दूरी ही एक मात्र विकल्प निकला है। जिसका कई देश दृढ़ता से पालन कर रहे हैं। अन्य देशों की तरह कोरोना का असर कम करने के लिए यहां यूनाइटेड किंगडम (यूके) तथा भारत ने भी अपने-अपने देशों में कड़े कदम उठाए हैं, जिसके नतीजे अच्छे आ रहे हैं।

दुनियाभर में मनुष्य जाति के लिए खतरे का पर्याय बन चुका इस कोरोना विषाणु ने समय की गति के साथ और भी विकराल रूप धारण कर लिया है। जिसके कारण कोरोना संक्रमित देशों में संक्रमण के मामले कम होने के बजाए लगातार तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं। महामारी की यह भयावह तस्वीर लोगों को बुरी तरह डरा रही है। यहां यूके में ज्यादातर लोग घरों में अपने परिजनों के साथ रहते हुए तालाबंदी के नियमों का पालन कर रहे हैं। सड़कें सुनसान पड़ी हैं, और कार्यालयों में ताले पड़े हैं। इक्का-दुक्का लोग ही सड़कों पर दिखते हैं, जो जरूरत का सामान लेने बाहर निकलते हैं। इतना कड़ा प्रबंधन के बावजूद कोरोना पीड़ितों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। हालांकि यूके में वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना से लड़ने के लिए वे जल्द ही उपयुक्त टीका खोज लेंगे, लेकिन इसके लिए थोड़ा समय लगेगा। सोमवार को यहां यूके में कोरोना मरीजों की संख्या 1,24,743 हो गई है, जिनमें खुद यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी शामिल हैं। यूके में सोमवार तक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 16,509 तक पहुंच गई है। इंग्लेंड में कोरोना पीड़ितों की संख्या 66,330 है जबकि 9,594 की मौत हो चुकी है। स्काॅटलेंड में पीड़ितों की संख्या 5,912 जबकि 542 लोग काल के गाल में समा गए। वेल्स में पीड़ितों की संख्या 5297 और 369 मौतें हुई हैं। उत्तरी आयरलेंड मरीजों की संख्या 1806 जबकि 107 लोगांे की मौत हो चुकी है।

दुनिया के जिन देशों में भी कोरोना ने तेजी से पैर पसारे हैं, उनका अनुभव लेकर यूके सरकार ने यहां नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखने कुछ दिशा-निर्देश तय किए हैं, जिनका पालन केवल लंदन में ही नहीं, अपितु पूरे ग्रेट ब्रिटेन के लोगों द्वारा किया जा रहा है। नागरिकों को विषाणु के संक्रमण से बचाने के लिए प्रधानमंत्री जॉनसन ने यूके में तालाबंदी का पालन करने की सलाह दी है। इस दिशा में सरकार ने कुछ ठोस कदम भी उठाए हैं। मसलन, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक स्टोर, पुस्तकालय, खेल के मैदान, आउटडोर जिम और पूजा स्थल सहित अन्य परिसरों को बंद किया गया है। सामाजिक कार्यों जैसे सार्वजनिक सभाएं, शादी व अन्य मांगलिक समारोहों पर सख्ती के साथ पाबंदी लगाई गई है। हालांकि विपरीत परिस्थितिजन्य कार्य जैसे अंतिम संस्कार के दौरान कुछ ढ़ील देने के निर्देश अवश्य दिए गए हैं। लोग अपने घरों में रहकर दो से तीन कदम के फासले की दूरी बनाए रखने के नियम का पालन कर रहे हैं। भोजन, सब्जी, राशन, दवा आदि के लिए बाहर निकलने वाले लोगों पर सुरक्षाकर्मियों की पैनी नजर लगी रहती है, ताकि सामाजिक दूरी बनाए रखने का उल्लंघन न होने पाए।

संयुक्त गणराज्य में जहां तक तालाबंदी व सामाजिक दूरी बनाए रखने का सवाल है तो यहां के नागरिक पूरी जिम्मेदारी के साथ इन नियमों का पालन कर रहे हैं। ऐसा नहीं करने पर पुलिस सख्ती से पेश आती है। हालांकि पुलिस संबंधी ये दिशा-निर्देश यूके में इंग्लिश, वेल्स, स्काॅटलेंड व उत्तरी आयरलेंड में कुछ अलग हो सकते हैं। खासकर जीवन सुरक्षा संबंधी नियम व प्रावधानों के तहत सरकार ने यहां कुछ कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोरोना पीड़ितों को परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है। आमतौर पर लोग विषाणु के संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरत रहे हैं। जैसे बार-बार साबुन से हाथ धोना, सेनेटाइजर जेल का इस्तेमाल करने जैसी आदतों को लोगों ने अब दिनचर्या में शुमार कर लिया है। आवश्यक कार्य के लिए ही लोग यदाकदा यात्रा पर निकलते हैं। कंपनी आदि का कार्य सामान्यतौर पर लोग घरों से ही निपटा रहे हैं।

जहां तक यूके की तुलना में भारत की बात करें तो भारत भी तमाम चुनौतियों से गुजरते हुए कोविड-19 महामारी का दृढ़ता से सामना कर रहा है। वैसे देखा जाए तो हमेशा से ही पूर्व व पश्चिम के देशों के बीच कई असमानताएं रहीं हैं, लेकिन कोविड -19 का मुकाबला जिस तरह भारत ने किया वह अपने आप में अद्वितीय है। दुनिया के दूसरे देश भारत के नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए अभूतपूर्व निर्णय लिए हैं। जिसके चलते वहां कोरोना के प्रसार पर काफी हद तक नियंत्रण हुआ है। विकसित देशों की तुलना में भारत में कोरोना संक्रमण का ग्राफ काफी नीचे है। वहां भारत में सोमवार तक कोरोना पीड़ितों की संख्या जहां 18,539 तक पहुंच गई है, वहीं 592 लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात यह है कि वहां 3273 लोग ठीक भी हुए हैं। भारत में 21 दिन की तालाबंदी की समीक्षा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को समय सीमा बढ़ाकर इसकी अवधि तीन मई तक बढ़ा दी है। यूके सरकार भी तालाबंदी की समीक्षा कर रही है, उम्मीद है कि भारत की तरह यहां भी तालाबंदी को आगे बढ़ाया जाए। क्योंकि इसके अलावा और दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

Updated : 22 April 2020 12:30 PM GMT
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