तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी: उलझन और समाधान खोजती फिल्म

तू मेरी मैं तेरा,  मैं तेरा तू मेरी: उलझन और समाधान खोजती फिल्म
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फिल्म देखते समय कहानी, रिश्तों की उलझन और समाधान पहले कई फिल्मों में देखा जा चुका है।

तो अब बात करते हैं फिल्म तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी जो एक ऐसी रोमांटिक ड्रामा फिल्म है। फिल्म की कहानी की बात करें तो पूरी तरह पुराने जाने-पहचाने ढांचे पर है। फिल्म देखते समय कहानी, रिश्तों की उलझन और समाधान पहले कई फिल्मों में देखा जा चुका है। यहां न कहानी में कोई ताजगी है और न ही किरदारों में वह गहराई, जो ऑडियंस को अंत तक भावनात्मक रूप से जोड़ सके।

किरदारों के हिस्से से खास

कार्तिक आर्यन रे के किरदार में नजर आते हैं जबकि अनन्या पांडे रूमी की भूमिका में हैं। रूमी आगरा की रहने वाली है और रे अमेरिका में रहता है। दोनों की मुलाकात क्रोएशिया में होती है, जहां छुट्टियों के दौरान दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है। फिल्म का पहला हिस्सा पूरी तरह रोमांस, घूमने-फिरने और गानों पर आधारित है। कहानी में मोड़ तब आता है जब शादी की बात सामने आती है। रूमी अपने अकेले पिता, जो एक फौजी थे, को छोड़कर अमेरिका जाने से इनकार कर देती है। दूसरी ओर, रे अपनी मां से बेहद जुड़ा है, जिनकी साफ शर्त है कि उन्हें भारतीय बहू ही चाहिए।

रिश्तों के टकराव के पास घूमती है कहानी

माता-पिता की जिम्मेदारी और निजी रिश्ते के बीच फंसा यह टकराव फिल्म की कहानी का आधार बनता है, लेकिन इसे बहुत सीधे और अनुमानित तरीके से पेश किया गया है। कुल मिलाकर फिल्म वही पुराना फार्मूला अपनाती है....मुलाकात, दूरी, प्यार, बिछड़ना और फिर मिल जाना। करीब 2 घंटे 25 मिनट में यही भावनात्मक उठा-पटक बार-बार दोहराई जाती है, जिससे कहानी आगे बढ़ने के बजाय कई जगह ठहरी हुई है।

अभिनय के लिहाज से

अनन्या पांडे कुछ सीन में कोशिश करती दिखती हैं और उनके अब तक के बेहतर गंभीर अभिनय में गिना जा सकता है। लेकिन कई जगह उनका अभिनय जरूरत से ज्यादा लगता है और इमोशनल सीन पूरी तरह ओवरड्रामैटिक हो जाते हैं, जिससे असर नहीं बन पाता।

कार्तिक आर्यन इस किरदार में पूरी तरह सहज नहीं लगते। कई सीन में उनका अभिनय ओवरएक्टिंग जैसा लगता है और उनका परफॉर्मेंस जरूरत से ज्यादा कॉन्फिडेंस भरा हुआ और कई बार खटकने वाला लगता है। दोनों कलाकारों के बीच रोमांटिक कैमिस्ट्री भी कमजोर है, जिस वजह से प्रेम कहानी ऑडियंस को बांध नहीं पाती। जैकी श्रॉफ और नीना गुप्ता अपने जाने-पहचाने अंदाज में ही नजर आते हैं। उनके किरदारों में ऐसा कुछ नया नहीं है, जो कहानी को मजबूती दे सके।

ये बात है फिल्म में दमदार

फिल्म का सबसे मजबूत पहलू इसकी लोकेशन और विजुअल प्रेजेंटेशन है। क्रोएशिया और आगरा जगहों पर फिल्माए गए सीन्स देखने में अच्छे लगते हैं। सिनेमैटोग्राफी साफ है, फ्रेम सुंदर हैं और कलर कॉम्बिनेशन आकर्षक है। यही वजह है कि फिल्म का पहला हिस्सा देखने लायक लगता है।

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