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मध्यप्रदेश में फिल्म सिटी का स्वागत है

-विवेक पाठक

मध्यप्रदेश में फिल्म सिटी का स्वागत है
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खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल बीते दिनों मध्यप्रदेश में जब प्रारंभ हुआ तो उस समय मप्र के मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की, निश्चित ही उसकी मुक्तकंठ से प्रशंसा की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विकास से पिछड़े इस क्षेत्र में हो रहे इस समारोह के सतत आयोजन की तारीफ कर कहा कि मप्र में जन्मी प्रतिभाओं को सिनेमा का आसान मंच मिले, इसके लिए यहां फिल्मसिटी बनाई जाएगी। इससे मुंबई का सिने उद्योग इस प्रदेश में भी फिल्म निर्माण के लिए आएगा। खजुराहो में हुई इस घोषणा ने आशाएं जगाई हैं, मगर इसके बावजूद जब तक निर्माण की शुरुआत नहीं होती तब तक तमाम आकांक्षाएं सपनों में ही रहेंगी।

खैर... खजुराहो फिल्म फेस्टिवल के इस आयोजन की प्रशंसा की जानी चाहिए कि कम से कम वहां के मंच ने ऐसी चर्चाएं तो शुरु कराई हैं। राज्य में यह सालाना फिल्मी जलसा 5वें साल लगातार आयोजित हुआ है, इसके लिए बुन्देलखंड में जन्मे फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला के प्रयासों की प्रशंसा करनी ही होगी। वे मुंबई में अभिनय के कई साल गुजारने के बाद भी अपने बुन्देलखंड से जुड़ेे रहे और आज विकास से पिछड़े इस क्षेत्र की बात कहीं न कहीं उठा ही रहे हैं। बेशक, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ पन्ना खजुराहो से लेकर सुदूर झांसी, ललितपुर से सटे कई जिलों में फैला बुन्देलखंड विकास की राह न पकड़ पाया हो मगर इसके बावजूद वहां की प्रतिभाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस सीमित भूभाग की कला साहित्य संस्कृति, बोली, खानपान रहन-सहन से लेकर पहनावे, तीज त्यौहार और लोकचार की अपनी महक है। यहां से निकले लोक गायक देशराज पटेरिया बुन्देलखंड ही नहीं समूची हिन्दी पट्टी में सुने और पसंद किए जाते हैंं। गाडऱवारा के आशुतोष राणा बुन्देलखंड से निकले प्रतिभा संपन्न कलाकार ही नहीं बेहतरीन लेखक हैं। वे धांसू एक्टिंग करते हैं तो खांटी लिखते भी हैं। सागर के मुकेश तिवारी ने चाइना गेट में शोले के गब्बर से कहीं कम नहीं डराया। एक डकैत का वीभत्स चेहरा उन्होंने पर्दे पर साकार कर दिया था ऊपर से आसमान में मंडराते गिद्धों को जगीरा का उलाहना कि 'गोली चली नहीं कि करन लगे काएं काएंÓ वास्तव में भुलाए नहीं भूलता। मुकेश तिवारी इस फिल्म के बाद हिन्दी सिनेमा में गोलमाल फिल्म में दिखे जहां कॉमेडी करते हुए उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का चौतरफा प्रदर्शन किया। खजुराहो से निकली अन्वेषी जैन इन दिनों इंटरनेट सनसनी बनी हुई हैं। एकता कपूर की 'गंदी बात 2Ó वेबसीरिज के जरिए वे अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुईं। अन्वेषी अब कई फिल्मों में काम कर रही हैं। ये कुछ उदाहरण बताने के लिए काफी हैं कि विकास से पिछड़ा बुन्देलखंड प्रतिभाओं से भरा पड़ा है। मप्र में इस माटी ने फिल्मों के लिए एक सालाना मंच तैयार किया है ये काबिले तारीफ है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस समारोह के आयोजन को अपनी उपस्थिति से न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि संदेश भी दे दिया कि मप्र सरकार आगामी दिनों में फिल्मों के अनुकूल वातावरण तैयार करेगी। यहां मुंबई के फिल्मकार शूटिंग के लिए आ सकें इसके लिए बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी। प्रदेश में उत्तरप्रदेश की तरह यहां फिल्म बनाने वालों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने जाने की योजना पर भी काम चल रहा है। खजुराहो में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बात पर भी जोर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्र में सस्ता मनोरंजन उपलब्ध कराने छोटे सिनेमाघरों को प्रोत्साहित किया जाएगा। खजुराहो फिल्म फेस्टिवल से उठी ये बातें छोटी नहीं हैं अगर इन पर सफल अमल होता है हमें भी उत्तरप्रदेश की तरह परिणाम मिलेंगे जहां अब हर दूसरी मुंबई फिल्म की शूटिंग हो रही है। मप्र में फिल्मों के लिए महेश्वर, भोपाल, ग्वालियर, मांडू शिवपुरी, भेड़ाघाट, मुरैना, हनुमंतिया, पचमढ़ी से लेकर तमाम नेशनल पार्क से लेकर बेहतरीन फिल्मांकन स्थल हैं। इन स्थानों पर फिल्मों की शुरुआत से बहुतो को रोजगार मिलेगा तो कई नए युवा कलाकार यहां से फिल्मों के लिए मिलेंगे भी। खजुराहो फिल्म फेस्टिवल इन सारी चर्चाओं को मंच देने के लिए बधाई का हकदार है तो हमारी भी लख लख बधाइयां।

Updated : 21 Dec 2019 11:30 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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