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रजनीकांत को मिलेगा दादा साहब फाल्के पुरस्कार ,दुर्योधन की भूमिका से हुए फेमस

रजनीकांत को मिलेगा दादा साहब फाल्के पुरस्कार ,दुर्योधन की भूमिका से हुए फेमस
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मुंबई। महान अभिनेता रजनीकांत को सोमवार को दिल्ली में समारोहपूर्वक 51वां दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2019) प्रदान किया जाएगा। उनके नाम की घोषणा पहली अप्रैल को तत्कालीन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाता सम्मेलन में की थी। इस अवार्ड के लिए चयन करने वाली जूरी में आशा भोसले, सुभाष घई, मोहनलाल, शंकर महादेवन और बिस्वजीत चटर्जी शामिल थे।

दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत ने रविवार को चेन्नई में अपने घर के बाहर प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अवार्ड के बारे में मीडिया से बात की। उन्होंने इस बात का अफसोस जताया कि उनके गुरु के बालाचंदर उन्हें इस अवार्ड को प्राप्त करते हुए देखने के लिए जीवित नहीं हैं। रजनीकांत ने कहा कि वह सोमवार को दिल्ली में आयोजित होने वाले अवार्ड फंक्शन में शामिल होंगे।

पद्म विभूषण से सम्मानित

रजनीकांत देश के सबसे लोकप्रिय सितारों में हैं। उन्हें इससे पहले 2000 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। रजनीकांत ने तमिल सिनेमा में 'अपूर्व रागंगल' से फिल्मी दुनिया में कदम रखा। उनकी हिट फिल्मों में बाशा, शिवाजी और एंथिरन हैं। वे अपने चाहने वालों के बीच थलाइवर (नेता) के रूप में जाने जाते हैं।

अभिनेता रजनीकांत का बचपन अभाव में गुजरा। उनका असल नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। वह जब पांच साल के थे, तभी उनके सिर से मां का साया उठ गया। मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आई। रजनीकांत ने घर चलाने के लिए कुली तक का काम किया। चित्रपट पर कदम रखने से पहले बस कंडक्टर की नौकरी की। उनकी पहली फिल्म अपूर्वा रागंगल में उनके साथ कमल हासन और श्रीविद्या भी थे। हालांकि रजनीकांत ने अभिनय की शुरुआत कन्नड़ थियेटर से की। दुर्योधन की भूमिका में रजनीकांत घर-घर में लोकप्रिय रहे।

कई नकारात्मक किरदारों को जीवंत करने के बाद रजनीकांत पहली बार नायक के रूप में एसपी मुथुरमन की फिल्म भुवन ओरु केल्विकुरी में दिखे। उनके प्रति लोगों की दीवानगी इस हद तक है कि वे उन्हें ईश्वर मानते हैं। कुली से सुपरस्टार बनने वाले रजनीकांत कभी यहां तक नहीं पहुंच पाते अगर उनके दोस्त राज बहादुर ने उनके अभिनेता बनने के सपने को जिंदा न रखा होता। उन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के प्रेरित किया।

1983 में बॉलीवुड में रखा कदम -

रजनीकांत ने 1983 में बॉलीवुड में कदम रख दिया। उनकी पहली हिंदी फिल्म अंधा कानून थी। इसके बाद इस अभिनेता ने सिर्फ तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं। आज वह दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े अभिनेता हैं। दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जन्मदाता कहा जाता है। उनके ही नाम पर हर साल ये पुरस्कार दिए जाता है। अब तक 50 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है। रजनीकांत से पहले अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार दिया गया था।

रजनीकांत 12वें दक्षिण भारतीय हैं जिन्हें यह अवॉर्ड मिला है। इससे पहले डॉ. राजकुमार, अक्कीनेनी नागेश्वर राव, के बालाचंदर आदि को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। यह पुरस्कार सबसे पहले अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था। हाल के वर्षो में यह पुरस्कार पाने वालों में मनोज कुमार, फिल्म निर्माता के. विश्वनाथ और विनोद खन्ना शामिल हैं।

Updated : 25 Oct 2021 7:07 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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