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मानो सम्मान और पुरुस्कार कम पड़ गए हो...

मानो सम्मान और पुरुस्कार कम पड़ गए हो...
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वेबडेस्क। स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब इस दुनिया में नहीं रहीं। बस रह गई हैं तो सिर्फ उनकी यादें और उनके गाये ख़ूबसूरत गीत। लता मंगेशकर का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। कलाकार परिवार से ताल्लुक रखने वाली लता मंगेशकर ने महज पांच साल की उम्र में अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। 16 दिसम्बर 1941 को लता मंगेशकर ने अपने पिता के आशीर्वाद से पहली बार रेडियो के लिए लता ने स्टूडियो में 2 गीत गाए थे। लता जी को अनेकों पुरस्कार मिले है।

  • फ़िल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
  • राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
  • सन 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • सन 1989 में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहेब फाल्के पुरस्कार' दिया गया।
  • सन 1993 में फ़िल्म फेयर के 'लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • सन 1996 में स्क्रीन के 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • सन 1997 में 'राजीव गांधी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • सन 1999 में पद्मविभूषण, एन.टी.आर. और ज़ी सिने के 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • सन 2000 में आई. आई. ए. एफ.(आइफ़ा) के 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • सन 2001 में स्टारडस्ट के 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार', नूरजहाँ पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

Updated : 11 Feb 2022 7:33 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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