Happy Mother Day 2020 : भारतीय सिनेमा में मां के किरदार को भिन्न अवतारों के रूप में किया पेश, जानें
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नई दिल्ली। 'मेरे पास मां' है यह सन 1975 में आई फिल्म 'दीवार' का वह मशहूर संवाद है, जिसने अभिनेता शशि कपूर को रातोंरात स्टारडम दिलाया और जिसने अमिताभ बच्चन के रूप में इंडस्ट्री को उनका नया एंग्री यंग मैन भी दिया।
भारतीय सिनेमा में मांओ के किरदार को भिन्न अवतारों के रूप में पेश किया जाता रहा है। कभी उन्हें निरूपा रॉय के माध्यम से अपने अंदर ही अंदर घुटती हुई एक मां के रूप में प्रस्तुत किया गया, तो कभी एक ऐसी मां के रूप में दिखाया गया, जिसे अपनी एक खुद की पहचान की तलाश रहती है, जैसे कि फिल्म इंग्लिश विंग्लिश में श्रीदेवी द्वारा निभाया गया किरदार।
इस मदर्स डे को मातृत्व के हर एक रूप का जश्न मनाते हुए आइए, बड़े पर्दे के कुछ ऐसे ही किरदारों के साथ भी समय बिताते हैं, जिसने सालों से हमें काफी कुछ अनुभव कराया है। फ्लिपकार्ट वीडियो की ओर से हमारे साथ कुछ ऐसे ही शोज साझा किए गए हैं, जिन्हें आप अपनी मां के साथ देख सकते हैं और कुछ बेहतर पल बिता सकते हैं। इसके साथ ही आप उन्हें यह भी बता सकते हैं कि वे आपके लिए किस हद तक मायने रखती हैं।
मदर इंडिया
यह सभी महिलाओं को समर्पित है। मदर इंडिया दिल को मरोड़कर रख देने वाली विविध महिलाओं उर्फ मांओ की कहानी है। इसमें एक लालची साहूकार से लड़ते हुए एक मां अपने बच्चों की परवरिश के लिए हर एक संघर्ष का सामना करती है।
खूबसूरत
इस फिल्म का सेंट्रल कैरेक्टर भी मां है। लेकिन यहां मां का अलग ही रूप है। वह सख्त है। अनुशासन उसके लिए सर्वोपरि है। उसका खौफ है। वह हंसना नहीं जानती। उसका जीवन घड़ी की सुइयों से बंधा हुआ है। किस तरह से अनुशासन उसके जीवन के आनंद में बाधा बनता है, किस तरह से अनुशासन की बेड़ियां खुलती हैं और जीवन में रस आने लगता है यह इस कॉमेडी फिल्म में दिखाया गया है। मां का यह किरदार हिंदी फिल्मों के लिए अनोखा है।
करण अर्जुन
पुनर्जन्म पर आधारित यह फिल्म जब राकेश रोशन बना रहे थे तो कई लोगों को इसकी कहानी पर यकीन नहीं था कि कैसे एक मां जानती है कि उसके बेटे मरने के बाद फिर जन्म लेंगे और बदला लेंगे। लेकिन राकेश रोशन ने राखी के किरदार को इतना सशक्त बनाया कि इस मां के यकीन पर सबको यकीन हो गया कि करण अर्जुन आएंगे और मेरा बदला लेंगे। 'करण अर्जुन' टिपिकल बॉलीवुड फॉर्मूला फिल्म है, लेकिन राखी का किरदार बेहद हिट रहा और आज भी कई लोगों को यह याद है।
नील बटे सन्नाटा
घर में काम करने वाली महिला जिसे बोलचाल की भाषा में 'बाई' कहा जाता है इस फिल्म का लीड कैरेक्टर है और इसके पहले इस किरदार को मुख्य भूमिका में लेकर शायद ही कोई फिल्म बनी हो। स्वरा भास्कर ने यह भूमिका निभाई है। यह मां नहीं चाहती कि उसकी बेटी भी उसकी तरह बने। पढ़े-लिखे और कलेक्टर बने। लेकिन जब वह यह देखती है कि बेटी का ध्यान पढ़ाई में नहीं है तो वह भी उसके स्कूल में पढ़ने के लिए एडमिशन लेती है। फिल्म में इस बात को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। मां का यह अंदाज पहले किसी बॉलीवुड मूवी में देखने को नहीं मिला था। कुछ यही अंदाज हेलीकॉप्टर ईला में भी देखने को मिला।
मॉम
मां बेहद कोमल हृदय और ममतामयी होती है, लेकिन बात जब हद से बढ़ जाए और उसकी संतान पर जब बुरा साया पड़ती है तो वह 'चंडी' का रूप धारण कर लेती है। यहां मॉम एक आधुनिक महिला है। उसकी बेटियां हैं। बेटियां जब खतरे में आती है तो यह मॉम अपना शक्ति रूप दिखाती है।
इंग्लिश विंग्लिश
एक ऐसी महिला व मां की कहानी, जो अंग्रेजी भाषा बोल व समझ न पाने के चलते हमेशा सहमी हुई रहती है। बस इसी एक बात के चलते उसे उसके परिवार वाले भी उतनी अ?हमियत नहीं देते हैं, जितने की वह हकदार है। इसके बाद वह इस भाषा को जानने का ठान लेती है और सारी चुनौतियों का सामना कर खुद को सबके सामने साबित करती है।
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