Asha Parekh: आशा पारेख की लव लाइफ की अनकही बातें, और फिल्मी करियर से समाज सेवा तक, एक बेमिसाल सफर

आशा पारेख की लव लाइफ की अनकही बातें, और फिल्मी करियर से समाज सेवा तक, एक बेमिसाल सफर
आशा पारेख, हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री, जिन्होंने अपने अभिनय और नृत्य से लाखों दिलों को जीता। जानिए उनके फिल्मी करियर, लव लाइफ, और समाज सेवा के अनकहे किस्से इस लेख में।

आशा पारेख का नाम सुनते ही हिंदी सिनेमा की बेहतरीन और खूबसूरत अदाकाराओं में से एक की छवि उभरती है। उन्होंने अपनी मासूमियत और बेजोड़ अभिनय से सिनेमा जगत में एक खास पहचान बनाई। चाहे वह फिल्मी करियर हो, लव लाइफ, या पर्सनल लाइफ, आशा पारेख की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है। इस लेख में हम उनके जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर डालेंगे।

जन्म और बचपन

आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता हिंदू थे और उनकी मां मुस्लिम, इसलिए उन्होंने दोनों धर्मों की संस्कृतियों को करीब से देखा और समझा। उनका बचपन बहुत ही साधारण रहा, लेकिन उनका झुकाव शुरू से ही कला और नृत्य की ओर था। उनकी मां ने उन्हें छोटी उम्र में ही शास्त्रीय नृत्य सीखने के लिए भेजा, जो बाद में उनके फिल्मी करियर का आधार बना।

फिल्मी करियर की शुरुआत

आशा पारेख का फिल्मी सफर महज 10 साल की उम्र में शुरू हो गया था। बाल कलाकार के रूप में उन्होंने फिल्म माँ (1952) में काम किया। हालांकि, उन्हें शुरुआती दिनों में बहुत बड़ी सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी नृत्य कला को और भी निखारा। उनकी पहली मुख्य भूमिका 1959 में आई फिल्म दिल देके देखो से थी, जिसमें वह शम्मी कपूर के साथ नजर आईं। यह फिल्म हिट रही और आशा पारेख रातों-रात स्टार बन गईं। इसके बाद तो जैसे उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तीसरी मंजिल, कारवां, कटी पतंग, लव इन टोक्यो जैसी सुपरहिट फिल्मों ने उन्हें हिंदी सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियों में शामिल कर दिया। आशा पारेख का खास गुण यह था कि वह न केवल एक बेहतरीन अदाकारा थीं, बल्कि उनकी डांसिंग स्किल्स भी लाजवाब थीं। उन्होंने अपनी फिल्मों में कई यादगार डांस नंबर किए, जिन्हें आज भी लोग पसंद करते हैं। उनकी मासूमियत और सौम्यता ने उन्हें हर उम्र के दर्शकों का चहेता बना दिया।

लव लाइफ

आशा पारेख की लव लाइफ हमेशा से चर्चा का विषय रही है। उनकी जिंदगी में प्यार जरूर आया, लेकिन उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनके और निर्देशक नासिर हुसैन के बीच गहरे संबंधों की चर्चा रही, लेकिन यह रिश्ता कभी शादी तक नहीं पहुंच पाया। नासिर हुसैन पहले से शादीशुदा थे, और शायद इसीलिए आशा पारेख ने कभी शादी नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस बात का जिक्र भी किया कि वह नासिर हुसैन से प्यार करती थीं, लेकिन उन्होंने उनके पारिवारिक जीवन में कभी दखल नहीं दिया।

पर्सनल लाइफ और समाज सेवा

शादी न करने का फैसला आशा पारेख का व्यक्तिगत था, और उन्होंने इसे बहुत ही सम्मान और गरिमा के साथ निभाया। उनका कहना है कि वह अकेली जरूर हैं, लेकिन उन्होंने कभी अकेलापन महसूस नहीं किया। वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताती हैं और खुद को हमेशा व्यस्त रखती हैं। फिल्मों से रिटायर होने के बाद, आशा पारेख ने समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया। वह एक हॉस्पिटल भी चलाती हैं, जहां गरीबों और जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज होता है। इसके अलावा, आशा पारेख ने फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड (CBFC) की चेयरपर्सन के रूप में भी काम किया। वह पहली महिला थीं जिन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया। यहां भी उन्होंने अपने कार्यकाल को ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ निभाया।

वर्तमान जीवन

आशा पारेख अब फिल्मी दुनिया से दूर हैं, वह कई टीवी शोज में बतौर जज नजर आ चुकी हैं, खासकर डांसिंग शोज में। इसके अलावा, वह अक्सर फिल्मों से जुड़े इवेंट्स और अवॉर्ड फंक्शंस में भी दिखाई देती हैं। उन्होंने खुद को फिट और एक्टिव रखा है और समय-समय पर अपनी यादों को ताजा करती रहती हैं। आशा पारेख के जीवन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वह आज भी अपने पुराने दोस्तों से मिलती-जुलती रहती हैं। वह अपने दौर के कई कलाकारों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखती हैं। उनका मानना है कि दोस्ती और रिश्ते इंसान को हमेशा जीवंत और खुश रखते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण बातें

आशा पारेख ने सिनेमा जगत में जो योगदान दिया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने करीब 95 फिल्मों में काम किया और हर फिल्म में उन्होंने एक नई छवि गढ़ी। उन्हें उनके बेहतरीन अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स और लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड शामिल हैं। साथ ही, वह हिंदी सिनेमा की उन चंद अभिनेत्रियों में से एक हैं जिन्होंने अपने करियर की ऊंचाई पर भी विनम्रता बनाए रखी। उनका नाम आज भी उन अदाकाराओं में लिया जाता है जिन्होंने हिंदी सिनेमा को एक नई दिशा दी।

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