UPI से पेमेंट करते वक्त रुकिए ज़रा! बदलती आदतें और नए नियम क्यों हैं चर्चा में

सुबह की चाय से लेकर रात की कैब बुकिंग तक फोन उठाया, QR स्कैन किया और पेमेंट हो गया । यही तो है आज का भारत. लेकिन इसी रोजमर्रा की सुविधा के बीच UPI को लेकर कुछ नई बातें, नए नियम और बदलती आदतें चर्चा में हैं।
डिजिटल लेन-देन अब आदत नहीं, रिफ्लेक्स बन गया है
कुछ साल पहले तक कैश जेब में रखना ज़रूरी था। आज हालात यह हैं कि सब्ज़ी वाला भी पूछता है UPI कर देंगे? UPI सिर्फ एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है । छोटे शहरों से लेकर मेट्रो तक एक ही कहानी है किराना स्टोर, ऑटो रिक्शा , स्कूल की फीस कुछ भी हो हर जगह UPI ने लेन-देन को आसान बनाया है. पहले जहां कैश संभालने की टेंशन होती थी, अब नेटवर्क और नोटिफिकेशन का इंतज़ार रहता है। खास बात यह है कि बुज़ुर्ग, छात्र, दुकानदार सब इस सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं।
छोटे अनुभव, बड़ी सच्चाई
भोपाल के एक सब्ज़ी विक्रेता विनय कहते हैं कैश कम रखते हैं अब, हिसाब भी साफ रहता है। यही वजह है कि UPI सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, भरोसे की चीज़ बन गया है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन ठगी की खबरें बढ़ी हैं। किसी को फर्जी कॉल आया, किसी ने गलत लिंक खोल दिया। नतीजा पैसा गया। एक प्राइवेट नौकरी करने वाली महिला दीपिका बताती हैं, पहले तुरंत पेमेंट कर देते थे, अब हर बार नाम और अमाउंट दो बार देखते हैं। यही छोटी-छोटी आदतें आगे चलकर बड़े नुकसान से बचाती हैं।
सिस्टम नहीं, लापरवाही भारी पड़ रही है
बैंक और पेमेंट ऐप्स लगातार कह रहे हैं कोई भी लिंक बिना जांचे न खोलें , कॉल पर OTP साझा न करें. ऑटो-डेबिट को समय-समय पर चेक करें। साइबर एक्सपर्ट सुमित का कहना है UPI सुरक्षित है लेकिन यूज़र का सतर्क होना सबसे ज़रूरी है।
आने वाला वक्त क्या बदलेगा?
UPI यहीं रुकने वाला नहीं है। आने वाले समय में विदेशों में भी UPI पेमेंट होने लगे हैं. छोटे व्यापारियों के लिए आसान लोन और ज़्यादा मजबूत सेफ्टी फीचर्स जैसे बदलाव देखने को मिल सकते हैं सरकार और बैंक दोनों इस सिस्टम को और भरोसेमंद बनाने में लगे हैं।
