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पेट्रोल-डीजल इतना महंगा क्यों मिलता है, जानें

पेट्रोल-डीजल इतना महंगा क्यों मिलता है, जानें
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नई दिल्ली। दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस के प्रभाव से कच्चे तेल कीमतों में बड़ी गिरावट हुई है। हालात यहां तक आ गए हैं कि अमेरिकी बाजार में इसकी फ्यूचर प्राइस निगेटिव में चली गई है। तब भी आपको घरेलू बाजार में पेट्रोल जहां 70 रुपये प्रति लीटर के आसपास मिल रहा है तो डीजल 62 रुपये प्रति लीटर के करीब। अब सवाल उठता है कि दुनियाभर में बाजार में कच्चे तेल की कीमत पानी से भी कम हो गई है तो हमें पेट्रोल-डीजल इतना महंगा क्यों मिल रहा है।

भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की मांग भले ही तेजी से बढ़ी हों, लेकिन उत्पादन पर्याप्त नहीं है। ऐसे में हमें अपनी आवश्यकता का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करना पड़ता है। जाहिर है कि यदि विदेशी बाजार में यह महंगा होता तो घरेलू बाजार में पेट्रोल—डीजल महंगा होगा और कच्चा तेल सस्ता होगा तो पेट्रोलियम उत्पाद सस्ता होता है तो यह सस्ता होगा। लेकिन अभी ऐसा दिख नहीं रहा है। आइए, हम समझाते हैं कि आपके एक लीटर पेट्रोल की कीमत में क्या क्या शामिल है।

पिछली बार साल 2014 से 2016 के बीच कच्चे तेल के दाम तेजी से गिर रहे थे तो सरकार इसका फायदा आम लोगों को देने के बजाय एक्साइज ड्यूटी के रूप में अपनी आमदनी बढ़ाती रही। नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच केंद्र सरकार ने 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाया और केवल एक बार राहत दी। ऐसा करके साल 2014-15 और 2018-19 के बीच केंद्र सरकार ने तेल पर टैक्स के जरिए 10 लाख करोड़ रुपये कमाए। वहीं राज्य सरकारें भी इस बहती गंगा में हाथ धोने से नहीं चूकीं। पेट्रोल-डीजल पर वैट ने उन्हें मालामाल कर दिया। साल 2014-15 में जहां वैट के रूप में 1.3 लाख करोड़ रुपये मिले तो वहीं 2017-18 में यह बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस बार भी जब कीमतें घटनी शुरू हुई तो केंद्र सरकार ने इस पर टैक्स बढ़ा दिया।

जब आप करीब 70 रुपये लीटर की दर से पेट्रोल खरीदते हैं तो सारा पैसा पेट्रोल कंपनियों को नहीं देते हैं। इसमें से आधा से ज्यादा पैसा तो टैक्स के रूप में केंद्र और राज्य को जाता है। देश की सबसे बड़ी ऑइल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑइल से मिली जानकारी के मुताबिक इस समय दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत एक्स फैक्ट्री कीमत या बेस प्राइस 27.96 रुपये है। इसमें केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के रूप में 28.28 रुपये, ढुलाई खर्च 32 पैसे, डीलर कमीशन 3.54 पैसे और राज्य सरकार का वैट 14.79 रुपये होता है। राज्य सरकार का वैट डीलर कमीशन पर भी लगता है। कुल मिला कर पेट्रोल की कीमत 69.59 रुपये हो जाती है।

सरकार डीजल पर भी टैक्स वसूलने में पीछे नहीं है। दिल्ली में एक लीटर डीजल की एक्स फैक्ट्री कीमत या बेस प्राइस 31.49 पैसे है। इस पर प्रति लीटर ढुलाई खर्च 29 पैसे है। केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी 18.83 रुपये, डीलर कमीशन 2.49 रुपये और राज्य सरकार का वैट 9.19 रुपये पड़ता है। इस तरह से इसकी कीमत 62.29 रुपये हो जाती है।

Updated : 21 April 2020 7:50 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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