Home > देश > उपराष्ट्रपति बोले - मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज कहीं अधिक प्रासंगिक

उपराष्ट्रपति बोले - मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज कहीं अधिक प्रासंगिक

उपराष्ट्रपति बोले - मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज कहीं अधिक प्रासंगिक
X

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को दिल्ली के श्रीराम कला केंद्र द्वारा आयोजित श्रीराम कथा पर आधारित नृत्य नाटिका का उद्घाटन करते हुए कहा कि राम हर क्षेत्र, हर वर्ग, हर समुदाय के हैं। हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट रामायण परंपरा है। रामकथा को प्रायः भारत की हर भाषा और बोली में प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने कहा कि राम कथा हमें विश्व, समाज और अपने परिवार के प्रति हमारे कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों को परिभाषित करती है। प्रकृति और परिवेश से व्यक्ति के आदर्श संबंधों को स्थापित करती है। आज की तेज़ी से बदलती तकनीक के युग में, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा स्थापित आदर्श कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।

नायडू ने कहा कि राम अयोध्या के राजकुमार थे लेकिन अपने वनवास की अवधि में वे उपमहाद्वीप के सुदूरवर्ती क्षेत्रों और समुदायों के संपर्क में आए। यह अनुभव एक राजकुमार के प्रजापालक राजा बनने की प्रक्रिया का अनिवार्य भाग था। इसीलिए हर क्षेत्र, समुदाय राम को अपना मानता है, रामकथा को अपनी लोक परम्परा में अपनाता है।

श्री राम कला केंद्र 1957 से ही प्रति वर्ष दशहरे के अवसर पर सुरुचिपूर्ण कलात्मक रामकथा का आयोजन करता रहा है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की स्थानीय कला परंपराओं का संगम होता है।

देश विदेश में राम चरित्र की लोक परम्परा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रामकथा को प्रायः भारत की हर भाषा और बोली में प्रस्तुत किया गया है। कुछ भाषाओं में तो राम कथा के एक से अधिक संस्करण हैं। एशिया के कई देशों में विशेष कर दक्षिण पूर्वी, सुदूर पूर्व तथा दक्षिण एशिया में रामायण की अपनी समृद्ध परम्परा रही है। इन देशों में रामायण को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है। भगवान राम की कथा सदियों पहले प्रवासी भारतीयों के साथ फिजी और कैरिबियाई जैसे सुदूरवर्ती देशों तक पहुंची।

Updated : 29 Sep 2019 10:55 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top