Home > देश > किसानों की आमदनी दुगुनी करना सर छोटू राम को सच्ची श्रद्धांजलि : उपराष्ट्रपति

किसानों की आमदनी दुगुनी करना सर छोटू राम को सच्ची श्रद्धांजलि : उपराष्ट्रपति

किसानों की आमदनी दुगुनी करना सर छोटू राम को सच्ची श्रद्धांजलि : उपराष्ट्रपति
X

गुरुग्राम। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी दुगुनी करने का लक्ष्य रखा है और इसे सुनिश्चित करना सर छोटूराम को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।उपराष्ट्रपति रविवार को गुरुग्राम में आयोजित एक कार्यक्रम में सर छोटू राम के लेखों और पत्रों के संकलन के पांच खंडों का लोकार्पण कर रहे थे। इस संकलन को प्रकाशित करने के लिए उन्होंने हरियाणा अकादमी ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर की सराहना की।

नायडू ने कहा कि भारत में कृषि सिर्फ व्यवसाय नहीं है, "यह हमारी संस्कृति का आधार है...यदि गांव पिछड़ेगा तो हमारे संस्कार भी पिछड़ेंगे...हमारी संस्कृति पिछड़ेगी और देश का विकास रुकेगा।" उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में जीवन स्तर में सुधार के लिए हर प्रयास किए जाने चाहिए।

नायडू ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए कृषि जरूरी अवयव है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों और गावों का स्वास्थ्य, समृद्धि, शिक्षा और खुशहाली हमारा उद्देश्य होना चाहिए। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को उपादेय बनाना जरूरी है। नायडू ने कहा कि किसानों की आमदनी सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत ग्रामीण अर्थव्यवस्था विकसित करना समय की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सिर्फ कृषि उत्पादन ही नहीं बल्कि खेतों से उपभोक्ता तक की मूल्य श्रृंखला आमदनी के नए अवसर प्रदान करती है। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई संभावनाएं तलाशने और किसानों को उन्नति करने की आज़ादी देने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसानों ने कभी देश को निराश नहीं किया है। महामारी के दौरान भी देश के लिए अनाज का रिकार्ड उत्पादन किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की आमदनी बढ़ाने के भरसक प्रयास कर रही हैं। आगे और भी प्रयास करने की आवश्यकता है।

नायडू ने कहा कि हमने अपने इतिहास की अनेक महान विभूतियों के साथ न्याय नहीं किया है और उन्हें वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे अधिकारी थे। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि इन विभूतियों के जीवन और कामों से देश को परिचित कराया जाये। उन्हें देश के इतिहास में सम्मान के साथ स्थापित किया जाये, जिससे आने वाली पीढ़ियां, स्वाधीनता आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के संघर्ष से भी परिचित हो सकें।

उन्होंने कहा कि जरूरी है कि हम गुलामी की मानसिकता त्यागें। इसी संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने मातृ भाषा, भारतीय भाषाओं और हिंदी के प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिए। नायडू ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन, अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ सिर्फ राजनैतिक आंदोलन नहीं था बल्कि सामाजिक, आर्थिक सुधार और सांस्कृतिक जागरण का आंदोलन था।


Updated : 12 Oct 2021 10:31 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top