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सुप्रीम कोर्ट ने सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक वाली याचिका पर सुनवाई से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक वाली याचिका पर सुनवाई से किया इंकार
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नईदिल्ली/नवीन सविता। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत हो रहे निर्माण कार्य को रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इन्कार किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ लूथरा खुद या किसी और वकील के ज़रिए 10 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से जल्द सुनवाई के लिए निवेदन करें। लूथरा का कहना है कि मामले में तत्काल सुनवाई ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस पर विचार करे और मामले को सुनकर आदेश दे।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उस पर 17 मई को सुनवाई है। तब वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था हर दिन की देरी से मज़दूरों पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। इसलिए हमें यहां आना पड़ा है। लूथरा ने कहा था कि हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। लोग मर रहे हैं। तब जस्टिस विनीत सरन ने कहा था हम जानते हैं। पर इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। तब लूथरा ने कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सारा निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया हुआ है लेकिन सेंट्रल विस्टा में काम जारी है। लूथरा ने कहा था निर्माण कोई अनिवार्य गतिविधि नहीं है। इसे रोका जा सकता है। तब कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में मामला है। आपको समस्या इस बात से है कि तारीख लंबी दी गई है। तब लूथरा ने कहा कि मई के मध्य में कोरोना के मामलों के उच्चतम स्तर पर होने की आशंका है। हाईकोर्ट से हमें 17 मई की तारीख मिली है।

जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि आपका केस विचार योग्य है लेकिन हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। तब लूथरा ने कहा कि हाईकोर्ट ने जवाब मांगे बिना सुनवाई टाल दी। स्थिति ऐसी कि देश में लॉकडाउन पर विचार हो रहा है। आईपीएल रोका जा चुका है। तब जस्टिस सरन ने कहा कि तभी हम मास्क लगाए बैठे हैं। हम हाईकोर्ट से आग्रह करेंगे कि आपकी याचिका 10 मई को सुन ली जाए। इस पर सॉलिसीटर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा करना ठीक नहीं होगा। हाईकोर्ट इस समय खुद विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहा है। एक मामले की सुनवाई की लंबी तारीख मिलने पर भी लोग सुप्रीम कोर्ट चले आ रहे हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश देना सही उदाहरण नहीं होगा। तब कोर्ट ने कहा कि हमें उचित आदेश पारित करने दीजिए।

Updated : 12 Oct 2021 10:43 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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