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विंग कमांडर दीपिका मिश्रा, ग्रुप कैप्टन रवि नंदा समेत सात को वायुसेना पदक, देखें लिस्ट

विंग कमांडर दीपिका मिश्रा, ग्रुप कैप्टन रवि नंदा समेत सात को वायुसेना पदक, देखें लिस्ट
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नईदिल्ली। देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वायु सेना के सात अधिकारियों को उनकी वीरता के लिए राष्ट्रपति के वायु सेना पदक से सम्मानित किया गया है। इनमें फ्लाइंग (पायलट) डी रवींद्र राव, ग्रुप कैप्टन राहुल सिंह, ग्रुप कैप्टन रवि नंदा, सार्जेंट परमेंदर सिंह परमार, सार्जेंट श्याम वीर सिंह, स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी और विंग कमांडर दीपिका मिश्रा हैं। वायु सेना पदक एक भारतीय सैन्य सम्मान है, जिसे सामान्यतः शांति काल में उल्लेखनीय सेवा के लिए दिया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जाता है। वायु सेना पदक की स्थापना 17 जून, 1960 को भारत के राष्ट्रपति ने की थी और 1961 से सम्मान दिए जाने लगे।

लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव -

फ्लाइंग (पायलट) डी रवींद्र राव एक फाइटर स्क्वाड्रन में तैनात हैं। वह 06 नवंबर 21 को एक डिटैचमेंट के हिस्से के रूप में जगुआर लड़ाकू विमान को दूसरे बेस पर ले जा रहे थे। जमीन पर उतरने के बाद निरीक्षण करते समय उन्होंने एक जोरदार विस्फोट सुना और देखा कि एक दूसरा जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद फिसलकर रनवे से बाहर निकल गया। दुर्घटना स्थल पर पहुंचकर देखा कि दुर्घटनाग्रस्त विमान उल्टा हो गया है, जिसमें काकपिट की छत का एक हिस्सा टूटा हुआ था। विमान के दोनों इंजन अभी भी चल रहे थे और पायलट घायल होकर इजेक्शन सीट से बंधा हुआ था।

इसी बीच दो क्रैश फायर टेंडर (सीएफटी) दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए। फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव बिना समय बर्बाद किए उल्टे हो चुके कॉकपिट में रेंगकर गए और इंजन को बंद करने का प्रयास किया। इसी बीच इंजन पर छिड़का गया पानी गर्म हो गया और बड़ी मात्रा में छिड़काव किए गए सीओटू फोम ने उस सीमित स्थान में सांस लेना मुश्किल बना दिया। इसके बावजूद फ्लाइट लेफ्टिनेंट ने सभी खतरों की परवाह किए बिना बचाव अभियान जारी रखा। उन्हें फंसे हुए पायलट के पैरों तक पहुंचना पड़ा और आधी बेहोशी में पहुंच चुके पायलट को मुक्त करने के लिए लेग-रिस्ट्रेनर और जी-सूट के खुले हिस्से को हटाना पड़ा।

उन्होंने पायलट को विमान से निकालने, उड़ान के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों को हटाने, उन्हें प्राथमिक चिकित्सा देने और पायलट को क्रैश स्ट्रेचर पर बांधने में भी मदद की। फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव ने अपने जीवन के लिए प्रत्यक्ष खतरे का सामना करने के लिए असाधारण साहस और वीरता दिखाई। वह अपनी सामान्य ड्यूटी की जिम्मेदारियों से बहुत आगे निकलकर आधे बेहोश हो चुके पायलट के बचाव में व्यक्तिगत रूप से खुद को शामिल किया। उन्होंने बचाव अभियान को प्रभावी ढंग से पूरा करने में बचाव दल की सहायता की और मार्गदर्शन किया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है।

Updated : 15 Aug 2022 11:58 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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