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प्रधानमंत्री ने दुश्मनों को दिया सख्त संदेश

प्रधानमंत्री ने दुश्मनों को दिया सख्त संदेश
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नई दिल्ली। चीन और पाक सीमा पर तैनात जवानों का हौसला बढ़ाने और सख्त संदेश देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री सरहद पर जाते रहे हैं। लाल बहादुर शास्त्री हों, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी या फिर नरेंद्र मोदी, जब भी देश की सुरक्षा पर संकट आया सबने आगे बढ़कर मोर्चा लिया। आइए एक नजर डालते हैं भारत के प्रधानमंत्रियों की सीमा यात्रा पर।

पाकिस्तान ने 1965 में तीन बार नापाक कोशिश करते हुए भारत की सीमा लांघने की कोशिश की। एक सितंबर 1965 को पाकिस्तानी सेना ने भारतीय जवानों पर तोपों से हमला कर दिया। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सेना को पाक के खिलाफ युद्ध का आदेश दिया। इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और लाहौर बचाना मुश्किल हो गया। आखिरकार पाक को बुरी तरह से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद 18 अक्तूबर 1965 को शास्त्री जी लाहौर सेक्टर पहुंच जवानों से मिले और हौसला बढ़ाया।

>> 7 जुलाई 1971 : मई 1971 में पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में हलचल बढ़ा दी थी और सरकार हर आवाज को कुचलने में तत्परता से लगी थी। जब यह बात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पता चली तो उन्होंने जनरल मॉनेकशॉ को बुलाकर युद्ध की स्थिति के लिए हर समय तैयार रहने को कहा। इस दौरान जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद लेह पहुंच गईं और सैनिकों को संबोधित किया और हौंसला बढ़ाया । इसके कुछ ही दिन बाद युद्ध हुआ, जिसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी।

>> 13 जून 1999 में जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पता था कि यह युद्ध अन्य युद्धों की तरह नहीं। इसलिए उन्होंने खुद मैदान-ए-जंग में जाकर जवानों का हौसला बढ़ाने का फैसला लिया। युद्ध के दौरान ही वह कारगिल पहुंच गए और तीन दिन वहां रहे। वहां अफसरों से युद्ध की स्थिति का जायजा लेते हुए वहीं रहकर उनकी हौसला आफजाई की। वहीं वाजपेयी सरकार ने 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण कर ताकत का एहसास कराया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी खुद मौके पर मौजूद थे।

>> 27 अक्तूबर 2019 पिछले साल दिवाली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरहद पर जवानों के साथ मनाई थी। यह वह वक्त था जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के प्रावधान हटाए गए थे और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने की आशंका जताई गई थी। प्रधानमंत्री ने राजौर सेक्टर में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया और उन्हें अपने हाथों से मिठाई भी खिलाई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने जवानों को पाक की ओर से हो रही गोलीबारी का माकूल जवाब देने को कहा।

>> 7 नवंबर 2018 इस साल मोदी ने दिवाली उत्तराखंड के हर्षिल में आईटीबीपी जवानों के साथ मनाई थी। तब उन्होंने कहा कि वे उन माता-पिता और गुरुजनों को नमन करते हैं, जिन्होंने आप जैसे वीर पुत्रों को जन्म दिया। इसके बाद मोदी केदारनाथ पहुंचे।

>> 30 अक्तूबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी इस बार हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में पहुंचे और चीन सीमा पर स्थित सुमडो और छांगो में जवानों के साथ दिवाली मनाई। उन्होंने आईटीबीपी, सेना और डोगरा स्काउट के जवानों से मुलाकात की, उन्हें मिठाई खिलाई।

>> 18 अक्तूबर 2017 को प्रधानमंत्री मोदी ने एलओसी पर स्थित जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर पहुंचकर सैनिकों के साथ दीपावली मनाई। जवानों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें अपने परिवार का हिस्सा बताया। मोदी ने तब कहा था कि आपसे हाथ मिलाने पर ऊर्जा मिलती है।

>> 11 नवंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैनिकों के साथ दिवाली मनाने के लिए इस बार पंजाब को चुना था। वे अमृतसर में खासा स्थित डोगराई वॉर मेमोरियल पहुंचे और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

>> 23 अक्तूबर 2014 को प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की यह पहली दीपावली थी। इस उत्सव को मनाने के लिए मोदी दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन पहुंच गए थे। 12,000 फुट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन बेस कैम्प में उन्होंने जवानों का हौसला बढ़ाया।

Updated : 4 July 2020 5:42 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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