संसद में फिर गूंजा लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराने का मामला, सरकार ने बताई मंशा

नईदिल्ली। संसद के जारी शीतकालीन सत्र में आज गुरूवार को लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा का चुनाव एकसाथ कराने का मामला दोनों सदनों में गूंजा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि चुनाव एक बड़े बजट का मामला बन गया है और लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने से राजकोष की भारी बचत होगी।
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की आवश्यकता महसूस की गई है क्योंकि चुनाव बड़े बजट वाले और खर्चीले' हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत विधि आयोग ने निर्वाचन कानूनों में सुधार संबंधी अपनी 170वीं रिपोर्ट में शासन में स्थिरता के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने का सुझाव दिया है। रिजिजू ने कहा, एक साथ चुनाव कराने से सरकारी खजाने में भारी बचत होगी, बार-बार चुनाव कराने में प्रशासनिक और विधिक व्यवस्था तंत्र के प्रयासों की पुनरावृत्ति से बचा जा सकेगा और राजनीतिक दलों तथा उम्मीदवारों को उनके चुनाव अभियानों में काफी बचत होगी।
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से लोक सभा और राज्य विधानसभा के अतुल्यकालिक चुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता के लंबे समय तक लागू रहने के प्रतिकूल प्रभाव पर भी अंकुश लगेगा।उन्होंने कहा 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे। हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ विधान सभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हो गया।
