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एलएसी पर ड्रैगन के पीछे हटने के बाद भी भारत सर्तक

एलएसी पर ड्रैगन के पीछे हटने के बाद भी भारत सर्तक
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में चीन पर भारत के शीर्ष रणनीति ग्रुप ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले जगहों से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों की वापसी के बाद समीक्षा बैठक की। इस बैठक के बाद सरकार के अगले कदमों के बारे में फैसला लिया गया।

हम आपको बता दें कि रविवार शाम को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ अजीत डोभाल की दो घंटे की बातचीत के बाद चीनी सैनिकों द्वारा तीनों गतिरोध वाले जगहों से सैनिकों को वापस बुलाने के बाद यह उनकी पहली बैठक थी।

अजीत डोभाल की चीनी विदेश मंत्री के साथ तीन सप्ताह में दूसरी बैठक होने वाली है। इस बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा की स्थिति पर चर्चा होगी। इस बैठक में कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा के साथ-साथ रक्षा, विदेश और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। इतना ही नहीं कुछ सीनियर मंत्री भी इस बैठक में शिरकत किए।

सरकार और सैन्य अधिकारियों ने कहा कि चीनी सैनिक लद्दाख के गैलवान क्षेत्र में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 (गलवान वैली), पैट्रोलिंग पॉइंट 15 (हॉट स्प्रिंग्स) और पैट्रोलिंग पॉइंट 17 (गोगरा) से वापस जा रहे हैं। गलवान घाटी या पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पर ही 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी। अब चीनी सैनिकों ने अपने टेंट को ध्वस्त कर दिया और लगभग 1.5 किमी पीछे हट गए।

पोंगोंग त्सो के पास फिंगर प्वाइंट चार के आसपास चीनी सैनिकों के वापस जाने की रफ्तार काफी स्लो है। भारतीय आकलन के अनुसार, चीनी सेना के पास भारतीय सैनिकों पर बढ़त थी क्योंकि उन्होंने फिंगर प्वाइंट 4 तक एक सड़क का निर्माण कर लिया था और कैंप बना लिए थे।

कुछ रिपोर्ट्स ने संकेत दिए हैं कि लद्दाख सेक्टर में चीनी वायु सेना की गतिविधि में काफी कमी देखी गई है। लेकिन थल सैनिकों को पूरी तरह से तैनात किया गया है। तिब्बत और शिनजियांग की गहराई वाले क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर है। अरुणाचल प्रदेश से सटे LAC पर भी कुछ निर्माण किया गया है।

सरकारी सूत्रों ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि बुधवार की बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब पीएलए सैनिकों की तैनाती का भी आकलन किया गया। बैठक में इस बात पर कई बार चर्चा हुई कि चीनी सैनिकों को लद्दाख के 1597 किलोमीटर एलएसी के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश में 1126 किलोमीटर एलएसी के साथ सभी क्षेत्रों से वापस जाने की आवश्यकता है।

सरकार और सैन्य अधिकारियों ने बताया कि चीनी सैनिक 17,000 फीट या राकी नाला क्षेत्र में डेपसांग मैदानों में एक आक्रामक मुद्रा में बने हुए हैं। बुर्त्से के नजदीक रकी नाला भारतीय गश्त के लिए डेपसांग मैदानों में महत्वपूर्ण है। इन इलाकों में कई बैर चीनी घुसपैठ की बात सामने आई है। अप्रैल 2013 में सीमा पर दोनों पक्षों का आमना-सामना हुआ था।

Updated : 9 July 2020 8:12 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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