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नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो बनी यूनेस्को की ब्रांड एम्बेसेडर

नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो बनी यूनेस्को की ब्रांड एम्बेसेडर
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कोटा। अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा को इस वर्ष यूनेस्को में कल्चर के लिये ब्रांड एम्बेसेडर चुना गया है। निरक्षर गुलाबो ने अंग्रेजी, फ्रेंच व डेनिश में बोलना भी सीख लिया है। बहुभाषी संवाद एजेंसी हिंदुस्थान समाचार से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि उनका बेघर परिवार पुष्कर के पास कोटडा गांव के जंगल में रहता था। उन दिनों कालबेलिया जाति के लोग बीन व ढपली बजाकर सांपों की पूजा करते थे। 1981 में 7 वर्ष की उम्र में उसने पहली बार कालबेलिया नृत्य किया। कोटा दशहरा मेले में उसने 2 घंटे अकेले नृत्य किया। 1985 में उसने अमेरिका में पहली प्रस्तुति दी, जिसे हजारों दर्शकों ने सराहा। इससे भारतीय कालबेलिया नृत्य को दुनिया में नई पहचान मिली। अब तक वह 165 देशों में भारत महोत्सव व अंतरराष्ट्रीय समारोहों में नृत्य कर चुकी है।

2016 में राजस्थानी फॉक डांस के लिये भारत सरकार ने उसे पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वाली वह इकलौती कालबेलिया महिला है। गुलाबो ने बताया कि विदेशों में राजस्थानी संस्कृति को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है। यहां की वेशभूषा विदेशियों को भारतीय संस्कृति व लोककला से रूबरू कराती है। राज्य के 17 लाख कालबेलिया जाति के लोगों को दुनिया में पहचान दिलाने वाली गुलाबो ने पुष्कर में 'गुलाबो सपेरा संगीत संस्थान' खोला है, जिसमें विदेशी युवतियों को लाइव कालबेलिया नृत्य व राज्य के हैंडीक्राफ्ट के लिये विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। वह इसे इंटरनेशनल स्कूल बनाना चाहती हैं।

पहली कालबेलिया लडकी राखी स्कूल गई--

गुलाबो की दोे बेटियां नचबलिया फेम नीलू व राखी सपेरा राजस्थानी फिल्मों में लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। राखी ने बताया कि वह कालबेलिया समाज की पहली लडकी है, जो संघर्षों के बीच स्कूल गई। उसने इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। 2014 में पहली फिल्म 'राजू राठौड़' के बाद उसे हीरोगिरी में हीरोइन का रोल अदा किया है। 'टाइगर ऑफ राजस्थान' में भी वह मुख्य अभिनेत्री होगी। उसे बॉलीवुड से ऑफर मिल रहे हैं लेकिन वह कालबेलिया डांस को प्रमोट करना चाहती है।

खलनायक मुमताज को राजस्थान से लगाव--

30 फिल्मों में अभिनय कर चुके खलनायक मुमताज सागर खान ने बताया कि उसे राजस्थान व कोटा से विशेष लगाव है। उन्होंने राजेश खन्ना, अनिल कपूर, बोनी कपूर के साथ बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है। राज्य सरकार राजस्थानी फिल्मों को प्रोत्साहन दे तो यह भाषा भोजपुरी की तरह लोकप्रिय हो सकती है। राज्य में शेखावटी, जयपुर, पुष्कर, पफतेहपुर, बीकानेर व कोटा-बूंदी में अच्छी फिल्म लोकेशन हैं। ऐसी फिल्मों से यहां के छिपे हुए कलाकारों को भी मौका मिलेगा।

Updated : 26 April 2019 3:31 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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