पद्म विभूषण से सम्मानित बाबासाहेब पुरंदरे का निधन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि

मुंबई।छत्रपति शिवाजी महाराज के चरित्र से प्रेरित वक्ता, साहित्यकार और शिवशाहीर बलवंत मोरेश्वर उपाख्य बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार सुबह 5 बजे महाराष्ट्र के पुणे में निधन हो गया। बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे 99 वर्षीय पुरंदरे पर दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज चल रहा था। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरित्र को महाराष्ट्र के घर-घर तक पंहुचाने का श्रेय बाबा साहेब पुरंदरे को जाता है। साथ ही उन्हें देश-विदेश में शिव चरित्र पर दिए गए व्याख्यानों के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने शिव चरित्र पर 12 हजार से ज्यादा व्याख्यान दिए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "दर्द को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। बाबासाहेब का जाना इतिहास और संस्कृति की दुनिया में बड़ा शून्य छोड़ गया है। उनका धन्यवाद है कि आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी रहेंगी।" पीएम ने आगे कहा, "बाबासाहेब का काम प्रेरणा देने वाला था। मैं जब पुणे दौरे पर गया था तो उनका नाटक जनता राजा देखा, जो कि छत्रपति शिवाजी महाराज पर आधारित था। बाबासाहेब जब अहमदाबाद आते थे, तो भी मैं उनके कार्यक्रमों में हिस्सा लेने जाता था।"
I am pained beyond words. The demise of Shivshahir Babasaheb Purandare leaves a major void in the world of history and culture. It is thanks to him that the coming generations will get further connected to Chhatrapati Shivaji Maharaj. His other works will also be remembered. pic.twitter.com/Ehu4NapPSL
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2021
मराठी साहित्यकार, इतिहासकार, नाटककार और वक्ता के तौर पर उनकी पहचान थी। पुरंदरे को छत्रपति शिवाजी के इतिहास के लेखक के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें पद्मविभूषण और महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। पुणे के सासवड में 9 जुलाई 1922 को जन्मे पुरंदरे बचपन से शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र से प्रभावित रहे। छत्रपति के जीवन पर उन्होंने निबंध और कहानियां लिखीं, जिन्हें बाद में एक पुस्तक रूप 'थिनाग्य' (स्पार्क्स) में प्रकाशित किया गया। अपने लेखन और थिएटर करियर के 8 दशकों में, पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर 12 हजार से अधिक व्याख्यान दिए, मराठा साम्राज्य के सभी किलों और इतिहास का अध्ययन किया, जिससे उन्हें इस विषय पर अधिकार मिला।
उन्होंने एक ऐतिहासिक नाटक 'जांता राजा' (1985) लिखा और निर्देशित किया, जो 200 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित एक नाटकीय कृति है, जिसका पांच भाषाओं में अनुवाद और अभिनय किया गया है। इस कार्य के लिए पुरंदरे 2019 में 'महाराष्ट्र भूषण' (2015) और देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था। पुरंदरे के निधन पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, नारायण राणे और अमित शाह ने शोक प्रगट किया है।
