रायपुर: टूटी-फूटी टपकती छतों और दीवारों में दरारों वाले स्कूलों में हुई नए शिक्षा सत्र की शुरुआत…

रायपुर। प्रदेश में डेढ़ महीने की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद सोमवार को स्कूलों में बच्चों की चहलकदमी लौटी। शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया। बच्चों का तिलक कर स्वागत हुआ, लेकिन इस उत्सव के पीछे जो कड़वी सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। जिले के सैकड़ों सरकारी स्कूल अब भी जर्जर हाल में हैं, जिनकी मरम्मत छुट्टियों के लंबे अंतराल के बावजूद नहीं हो पाई।
टूटी छतें, गिरता प्लास्टर और दीवारों की दरारें यही हालात हैं उन स्कूलों के, जिनमें प्रदेश के भविष्य को संवारने की कोशिश की जा रही है। राजधानी रायपुर और आसपास के शहरी व ग्रामीण इलाकों में अधिकांश सरकारी स्कूल 30-40 साल पुराने भवनों में संचालित हो रहे हैं, जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा स्कूल शिक्षा संचालनालय को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, जिले के चारों ब्लॉकों में 500 से अधिक स्कूल और छात्रावास ऐसे हैं, जिन्हें या तो मरम्मत की सख्त जरूरत है या फिर नए भवन की आवश्यकता है। इनमें से 250 स्कूल तो जर्जर परंतु मरम्मत योग्य की श्रेणी में हैं।
मरम्मत अधूरी, जोखिम से भरा नया सत्र
राजधानी के कई सरकारी स्कूलों की छतों का प्लास्टर गिर रहा है, कहीं छज्जे टूटे हुए हैं, तो कुछ स्कूलों में सीपेज की स्थिति इतनी गंभीर है कि बरसात में बच्चों के सिर पर पानी टपकता है। बावजूद इसके, इन स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत कर दी गई, जिससे बच्चों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
रायपुर के आउटर इलाकों में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां पर्याप्त कक्ष न होने के कारण छात्र बरामदे या खुले मैदान में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। अतिरिक्त कक्ष निर्माण की मांग को लेकर प्रस्ताव तो भेजे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी बदहाल
स्कूलों में शौचालयों की हालत बेहद खराब है। अधिकांश जगहों पर या तो शौचालय पूरी तरह बंद हैं या गंदगी के कारण अनुपयोगी हो चुके हैं। छात्र-छात्राएं इनका उपयोग करने से कतराते हैं। स्कूलों में लगे वाटर कूलर वर्षों से बिना मेंटेनेंस के बंद पड़े हैं, जिससे पीने के पानी की समस्या भी बनी हुई है।
छुट्टी के दौरान स्कूल बने असामाजिक तत्वों का अड्डा
सिंचाई कॉलोनी में बने सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दौरान कई स्कूलों में असामाजिक तत्वों ने डेरा जमा लिया था। स्कूल खुलने के बाद परिसर में शराब की बोतलें, डिस्पोजल गिलास और कचरा मिलने लगा। कई स्कूलों की बाउंड्रीवॉल तोड़ी जा चुकी है, जिससे सुरक्षा का भी गंभीर संकट बना हुआ है।
