छात्राओं में हुआ विवाद तो प्रिंसिपल ने तुड़वाया शिवालय: विरोध में हिंदू छात्राएं भूख हड़ताल पर बैठीं, भगवान शंकर की मूर्ति वापस स्थापित

- भूख हड़ताल पर बैठीं हिंदू छात्राएं, भगवान शंकर की मूर्ति वापस स्थापित
- छात्राओं के बीच धार्मिक वैमनस्यता फैलाने की हुई थी साजिश
रायपुर। जनजातीय बहुल जगदलपुर के एक शासकीय शिक्षण संस्थान में हिंदू छात्राओं की आस्था से खिलवाड़ का प्रयास किया गया। संस्था की प्रिंसिपल, जिसे छात्राओं के अधिकारों की रक्षा के लिए नियुक्त किया गया है, वही उनकी धार्मिक आस्थाओं पर अतिक्रमण करने लगी। यह आरोप लगाए हैं महारानी अस्पताल के पीछे स्थित शासकीय नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने। जिनकी तमाम गुहारों के बाद भी संस्था की प्राचार्या स्वर्णलता पीटर ने कॉलेज कैंपस में वर्षों से स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा को बिना किसी की अनुमति लिए हटवा दिया। फिर क्या था? कॉलेज की हिंदू छात्राओं ने प्रिंसिपल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गईं। बताया जाता है कि कैंपस में कुछ अधिकारियों ने छात्राओं के बीच धार्मिक वैमनस्यता फैलाने की कोशिश के तहत ही शिवमंदिर हटवाया था।
यह है पूरा मामला
जगदलपुर शासकीय नर्सिंग कॉलेज में सोमवार सुबह एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब कॉलेज की प्राचार्या स्वर्णलता पीटर ने दो मुस्लिम छात्राओं के बीच विवाद के बाद शिव मंदिर को परिसर से हटवा दिया। मंदिर हटाने की खबर मिलते ही कॉलेज की छात्राओं ने इसका विरोध करते हुए अनशन शुरू कर दिया। छात्राओं के मुताबिक, कुछ दिनों से कॉलेज में दो मुस्लिम छात्राएं एक हिंदू छात्रा से धर्म को लेकर विवाद कर रही थीं। मामला जब प्राचार्या के पास पहुंचा तो उन्होंने विशेष धर्म की छात्राओं की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मंदिर को हटवा दिया। जब अन्य छात्राओं ने प्राचार्या से मुलाकात कर मंदिर को वापस स्थापित करने की मांग की, तो उन्होंने इसे नकार दिया, जिससे छात्राओं ने भूख हड़ताल का रास्ता अपनाया।
मौके पर पहुंचे कलेक्टर, एसपी
घटना की जानकारी मिलते ही राष्ट्रीय विचारों से जुड़े हिंदूवादी संगठन जैसे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर, एसपी सहित जिले के वरिष्ठ अधिकारी भी कैंपस पहुंचना पड़ा। कई घंटों की चर्चा और तनाव के बाद प्राचार्या को झुकना पड़ा और शिव मंदिर की पुनस्र्थापना की बात स्वीकार करनी पड़ी। हिंदू संगठनों की मौजूदगी में मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति की पुनस्र्थापना छात्राओं के हाथों से करवाई गई। इस दौरान लगभग 300 से अधिक छात्राओं को भगवान शिव की मूर्तियां भी वितरित की गईं, ताकि उनकी धार्मिक भावना को सम्मान दिया जा सके।
प्राचार्या और उप प्राचार्या को हटाने की तैयारी में प्रशासन
पूरे मामले में प्राचार्या स्वर्णलता पीटर और उप प्राचार्या की भूमिका को लेकर सवाल उठे हैं। आरोप है कि उन्होंने हिंदू छात्राओं की धार्मिक भावनाओं की अनदेखी की। इस लापरवाही के चलते प्रशासन दोनों को जल्द हटाने की तैयारी कर रहा है। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि आस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
भगवान शिव ही आदिवासियों के बूढ़ा देव
जनजातीय क्षेत्रों में आदिवासी वर्ग के लोग बूढ़ा देव में असीम आस्था रखते हैं। ये बूढ़ा देव कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव ही हैं। राजधानी का ऐतिहासिक बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर इसका जीवंत उदाहरण है, जहां 400 साल पहले से आदिवासी भगवान शंकर की आराधना करते आ रहे हैं। आदिवासी अपनी धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ पसंद नहीं करते हैं।
