शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस:तेज रफ्तार ऑफिस कल्चर बना रहा 'भुलक्कड़ पीढ़ी'

शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस:तेज रफ्तार ऑफिस कल्चर बना रहा भुलक्कड़ पीढ़ी
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रायपुर में हर महीने 50 नए मामले

सन 2008 में आई बॉलीवुड की फिल्म गजनी में मुख्य भूमिका निभा रहे अभिनेता आमिर खान को भूलने की बीमारी से ग्रस्त दिखाया गया था। अब शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस (एंटीग्रेडेड एम्नेसिया) 35 से 50 वर्ष की आयु में भी देखी जा रही है। इसके पीछे मुख्य कारण कार्यालयों में तेजी से बदलती कार्यशैली, बढ़ती मल्टीटास्किंग और लगातार काम के दबाव को माना जा रहा है।

एक्सपर्ट व्यू

मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. एमके साहू के अनुसार, प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक साथ कई कार्य करने की प्रवृत्ति युवाओं और वयस्कों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही है। यह कोई स्थायी बीमारी नहीं है, लेकिन समय रहते तनाव को नियंत्रित न किया गया तो समस्या गंभीर रूप ले सकती है।

डॉ. साहू बताते हैं कि मजबूरी से दिमाग के न्यूरॉन्स प्रभावित हो रहे हैं, जिसका सीधा असर याददाश्त पर पड़ता है।

घर से जुड़े जरूरी काम भूलने की शिकायत

राजधानी रायपुर और प्रदेश के अन्य शहरों में कामकाजी लोग शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस यानी अल्पकालिक स्मृति कमजोर होने की समस्या का सामना कर रहे हैं। स्थिति यह है कि ऑफिस से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य याद रहते हैं, लेकिन घर और निजी जीवन से जुड़े छोटे-छोटे काम अक्सर भूल जाते हैं। विशेषज्ञ इसे भविष्य के लिए गंभीर चेतावनी मान रहे हैं।

तनावपूर्ण घटनाओं का असर

डॉक्टरों के अनुसार, दिमाग में न्यूरॉन्स का एक जटिल नेटवर्क होता है। जब कोई तनावपूर्ण काम या घटना बार-बार दिमागी सर्किट में घूमती रहती है, तो उससे न्यूरॉन्स प्रभावित होते हैं और घर के छोटे-छोटे जरूरी काम याद नहीं रहते।

हर महीने 50 नए मामले

विशेषज्ञों के अनुसार सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों में लगातार बढ़ता काम का दबाव मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। ओपीडी में हर महीने लगभग 50 नए मामले सामने आ रहे हैं। अत्यधिक तनाव देने वाले काम या घटनाएँ दिमाग में गहराई से बैठ जाती हैं और बार-बार दिमागी सर्किट में घूमती रहती हैं। नतीजतन, बॉस के निर्देश, डेडलाइन और ऑफिस का दबाव याद रहता है, लेकिन घर के छोटे काम और निजी जिम्मेदारियां भूल जाती हैं।

ऑफिस में अव्वल, घर में भुलक्कड़

तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं। यही हार्मोन ऑफिस से जुड़े कामों को दिमाग में मजबूती से बैठा देते हैं, जबकि सामान्य या कम तनाव देने वाली बातें जल्दी भूल जाती हैं।

दिमाग के प्रभावित हिस्से

याददाश्त को नियंत्रित करने में हिप्पोकैम्पस, एमिगडेला और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की अहम भूमिका होती है। सूचना की महत्ता, उससे जुड़े परिणाम और भावनात्मक दबाव मेमोरी को प्रभावित करते हैं। प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और हिप्पोकैम्पस अत्यधिक सक्रिय होने पर हार्मोन का स्राव बढ़ता है, जिससे शॉर्ट-टर्म मेमोरी कमजोर होती है।

बचाव और उपाय

काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना

डिजिटल डिटॉक्स अपनाना

नियमित व्यायाम

आपसी चर्चा और ध्यान

पर्याप्त नींद लेना

सही समय पर काउंसलिंग और लाइफस्टाइल में बदलाव

विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी जानकारी को याद रखने के लिए दिमाग का पूरी तरह एकाग्र होना जरूरी है। जब कोई काम पूरी एकाग्रता के साथ किया जाता है, तो वह सीधे वर्किंग मेमोरी में दर्ज हो जाता है। मल्टीटास्किंग के दौरान व्यक्ति एक साथ कई काम करता है, जिससे किसी एक काम पर पूरा ध्यान नहीं दे पाता और कम जरूरी बातें जल्दी भूल जाती हैं।

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