कन्वर्जन रोकने पोस्टर लगाना असंवैधानिक नहीं-HC

गांव में पादरियों की एंट्री पर रोक के मामले में याचिका खारिज
बिलासपुर/कांकेर। कांकेर जिले के कई गांवों में पादरियों और कन्वर्टेड ईसाइयों के प्रवेश पर रोक के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रलोभन या गुमराह करके जबरन कन्वर्जन रोकने के लिए होर्डिंग्स लगाना असंवैधानिक नहीं है।
गांवों में लगे बोर्ड
कांकेर जिले के कुदाल, परवी, बांसला, घोटा, घोटिया, मुसुरपुट्टा और सुलंगी जैसे आधा दर्जन गांवों की सीमा पर होर्डिंग्स लगाई गई हैं। इन होर्डिंग्स में लिखा है कि गांव पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आते हैं और ग्राम सभा संस्कृति की रक्षा के लिए पादरियों और कन्वर्टेड व्यक्तियों को धार्मिक कार्यक्रम या कन्वर्जन के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने इन होर्डिंग्स को गैरकानूनी बताया था, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि ये सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और स्थानीय संस्कृति की रक्षा के लिए जरूरी हैं।
हाईकोर्ट की हिदायत
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को पेसा नियम 2022 के तहत ग्राम सभा और संबंधित अधिकारियों के पास जाने का निर्देश दिया। साथ ही, यदि गांव में प्रवेश रोकने या किसी खतरे की आशंका हो तो पुलिस की मदद लेने की सलाह दी।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि याचिकाएं केवल आशंका पर आधारित हैं। सर्कुलर में कहीं भी धार्मिक नफरत फैलाने या होर्डिंग्स लगाने का निर्देश नहीं है। यह केवल अनुसूचित जनजातियों की पारंपरिक संस्कृति की रक्षा के लिए जारी किया गया है।
