चार बच्चों की मौत के शक में पड़ोसी की हत्या: अंधविश्वास की कीमत एक और जान

21वीं सदी की तेज रफ़्तार दुनिया में हम मंगल पर पहुंचने की बात करते हैं, लेकिन ज़मीन पर आज भी अंधविश्वास इंसानी दिमाग को चीरता हुआ निकल जाता है। बलरामपुर जिले के कुसमी थाना क्षेत्र के छोटे से गांव घुटराडीह में एक ऐसी ही दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया।
खौफ़, शक और अंधविश्वास की कहानी
पड़ोसी महिला को जादू-टोना करने के शक में एक युवती ने टांगी से बेरहमी से हत्या कर दी। चार बच्चों को खो चुकी यह मां ग़म और शक के दलदल में इतनी गहरी धँस चुकी थी कि उसने एक निर्दोष महिला की जिंदगी खत्म कर दी।
घटना कैसे हुई?
रविवार की शाम करीब चार बजे, जब 55 वर्षीय चंद्रकली नगेशिया अपने घर से लगे बाड़ी में काम कर रही थी, तभी अचानक पड़ोस की 30 वर्षीय सीतापति नगेशिया हाथ में टांगी लिए वहां पहुंची। बिना एक शब्द कहे उसने अचानक ताबड़तोड़ वार शुरू कर दिए। सिर और चेहरे पर लगातार चोटों से चंद्रकली की मौके पर ही मौत हो गई।लोगों ने दौड़कर सीतापति को वहीं पकड़ लिया। टांगी अब भी उसके हाथ में थी।
बीमारियों ने छीने बच्चे, शक ने छीनी समझ
पुलिस पूछताछ में पता चला कि पिछले कुछ वर्षों में सीतापति के चार बच्चों की मौत हो चुकी थी-बीमारी, पेट दर्द और लगातार बिगड़ती हालत से।एक हफ्ते पहले ही उसके तीसरे बेटे की जान गई थी। इस लगातार सदमे ने सीतापति की मानसिक अवस्था डगमगा दी। गांव में फैले जादू-टोने के अंधविश्वास ने उसके दुख को शक में बदल दिया और इसी शक ने उसे हत्या तक पहुँचा दिया।
एक और महिला पर भी था शक
हत्या के तुरंत बाद सीतापति टांगी लेकर एक अन्य महिला के घर भी पहुंची। उसे भी वह बच्चों की मौत का “कारण” मान चुकी थी। सौभाग्य से वह महिला घर पर नहीं थी, वरना शायद एक और त्रासदी सामने आ जाती।
अंधविश्वास सिर्फ अपराध नहीं, सामाजिक बीमारी
ग्रामीण इलाकों में “डायन”, “जादू-टोना” जैसी मान्यताएं आज भी मौत का कारण बनती जा रही हैं। दुख, बीमारी और ग़रीबी मिलकर इंसान को ऐसे मोड़ पर ले आते हैं जहां वह हकीकत और अंधविश्वास में फर्क करना भूल जाता है।
