आशियाना मिला, लेकिन सुकून नहीं: जर्जर हालातों में फंसी 160 जिंदगियां

आशियाना मिला, लेकिन सुकून नहीं: जर्जर हालातों में फंसी 160 जिंदगियां
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चार वर्षों से निगम के चक्कर लगा रहे हैं, इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

रायपुर:आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सुरक्षित आवास मिले। इसके लिए बीएसयूपी (बेसिक सर्विसेज फॉर अर्बन पुअर) योजना के तहत कोटा में 160 लोगों को आशियाना तो दिया गया। लेकिन जर्जर हालातों ने यहां के हितग्राहियों का सुकून संकट में डाल दिया है। बीएसयूपी आवास महज 13 साल में ही खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। यहां की छतें उनके लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन वर्षों में कई बार लोगों ने आवाज उठाई, लेकिन जिम्मेदारों ने हर बार अनसुना किया।

बाहरी दीवारों की पोताई, लेकिन छत जस का तस

नगर निगम की ओर से केवल बाहरी दीवारों की पोताई कर औपचारिकता निभाई गई, जबकि भवन का अंदरूनी ढांचा पूरी तरह जर्जर हो चुका है। छतों की मरम्मत और संरचनात्मक मजबूती को लेकर अब तक कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं।

ये हैं समस्याएं

पांचवें विंग की तीसरी मंजिल सबसे अधिक खतरे में है।

पटाखों की आवाज में भी छत का प्लास्टर गिरने लगता है।

कई परिवार मजबूरी में फिर से जर्जर मकानों में लौट आए हैं।

रहवासियों के अनुभव

केस 1 – चंद्रशेखर: खाना बनाते समय एक महीने पहले छत का बड़ा प्लास्टर उबलते सब्जी में गिरा, जिससे हाथ और चेहरे में फोड़े लग गए।

केस 2 – बंशीलाल यादव: अप्रैल में रात के समय पंखा गिर गया, लेकिन किसी को चोट नहीं आई।

केस 3 – सूरज तांडी: एक साल पहले रात में सोते समय छत का प्लास्टर सिर पर गिर गया, जिससे छह टांके लगे; छोटे बच्चों को ज्यादा डर लगता है।

घर खाली करवाने पर भी मरम्मत नहीं

रहवासियों का आरोप है कि वे पिछले चार वर्षों से नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पिछले साल निगम ने मरम्मत का आश्वासन देते हुए मकानों को खाली करने को कहा। भरोसा कर लोग घर खाली भी कर दिए, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ। मजबूरी में कई परिवार फिर से जर्जर मकानों में लौट आए हैं।

अन्य हालात

नियमित साफ-सफाई न होने के कारण पानी का जमाव होता है, जिससे छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है।

प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है; मंजूरी मिलते ही काम शुरू किया जाएगा, बताते हैं राकेश शर्मा, कमिश्नर जोन-7, ननि रायपुर।

तिरपाल बांधकर रहना मजबूरी

आवासीय परिसर के पांचवें विंग की तीसरी मंजिल पर स्थिति सबसे भयावह है। लगभग हर मकान की छत और दीवारों का प्लास्टर उखड़ रहा है, जो कभी भी गिर सकता है। दुर्घटना के डर से लोग अपने घरों में तिरपाल बांधकर रहने को मजबूर हैं। बारिश, ठंड या भीषण गर्मी में छत से पानी टपकता है, जिससे दीवारें और स्लैब कमजोर हो चुके हैं। यही कारण है कि रसोई में खाना बनाना भी मुश्किल हो गया है।

सिलिंग फैन नहीं लगाया जा रहा

लोग डर के कारण सिलिंग फैन भी नहीं चला रहे हैं। उनका कहना है कि छत में लगा सरिया सीपेज के कारण पूरी तरह सड़ चुका है। यदि पंखा लगाया गया, तो गिरने का डर है। इसी कारण गर्मियों में रहना पसंद होने के बावजूद पंखा चालू नहीं किया जा रहा। पटाखों की आवाज में भी छत का प्लास्टर गिरने लगता है, इसलिए परिसर में पटाखा फोड़ना मना रखा गया है। दीपावली के त्यौहार पर लोग पटाखे फोड़ने के लिए परिसर से दूर जाते हैं।

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