हिड़मा का अंत: बस्तर में नक्सली आतंक को बड़ा झटका

हिड़मा का अंत: बस्तर में नक्सली आतंक को बड़ा झटका
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छत्तीसगढ़-आंध्रप्रदेश की सीमा पर एनकाउंटर में 6 माओवादी ढेर हो गए, हिड़मा की पत्नी राजे भी मारी गई।
दो दशक में 26 से ज्यादा घातक हमलों में हिड़मा की भूमिका रही।

स्वदेश समाचार, जगदलपुर/रायपुर: नक्सलियों के सबसे घातक यूनिट पीएलजीए बटालियन नंबर-1 का कमांडर और मोस्ट वांटेड माओवादी माड़वी हिड़मा अंततः मारा गया। आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित मरेडमिलों के घने जंगलों में ग्रेहाउंड फोर्स ने मुठभेड़ में हिड़मा और उसकी पत्नी राजे उर्फ रजक्का सहित कुल 6 नक्सलियों को ढेर कर दिया। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने इसकी पुष्टि की।

देश के कई नक्सल प्रभावित राज्यों में मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा का मारा जाना नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों की बड़ी जीत मानी जा रही है। अब माना जा रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दी गई डेडलाइन 31 मार्च 2026 से पहले ही नक्सलवाद का समूल नाश हो जाएगा। हिड़मा पर कई राज्यों में भारी इनाम घोषित था। कुल इनाम की राशि 1 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है।

2007 के बाद सुरक्षाबलों के लिए हिड़मा बना मोस्ट वांटेड

नक्सल विशेषज्ञों के मुताबिक, 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद नक्सल संगठन ने हिड़मा को हथियार तैयार करने वाली विंग में भेजा। इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए हिड़मा ने नए तरीके के घातक हथियार तैयार किए। 2001-2002 के आसपास उसे दक्षिण बस्तर जिला प्लाटून में भेजा गया। इसके बाद वह पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के हथियारबंद दस्ते में शामिल हो गया।

बसवा राजू की मौत के बाद केंद्रीय समिति की सदस्यता

बसवा राजू की मौत के बाद संगठन में बदलाव हुआ, देवा को माओवादी महासचिव बनाया गया और हिड़मा को केंद्रीय समिति की सदस्यता मिली। हाल ही में राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने पूक्तर्ती गांव जाकर हिड़मा की मां से अनुरोध किया था कि वह अपने बेटे को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करें। इसके बाद हिड़मा की मां ने हिड़मा से सरेंडर करने की अपील की।

हिड़मा की भूमिका सीमित थी, लेकिन 2007 में उरपलमेट्टा इलाके में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हुए। इस हमले का मास्टरमाइंड हिड़मा को बताया जाता है। इसके बाद कई हमलों में उसका नाम आया। हिड़मा ने ही लड़ाई के तरीके बदले। माओवादियों को लैंडमाइंस के बजाय सुरक्षाबलों से आमने-सामने की लड़ाई के लिए तैयार किया और उस पर अमल भी किया।

हिड़मा के आतंक का अंत, बस्तर में लौट रहा शांति का वसंत: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शीर्ष नक्सली लीडर एवं केंद्रीय समिति सदस्य माड़वी हिड़मा सहित छह नक्सलियों के न्यूट्रलाइज होने की उपलब्धि पर सुरक्षाबलों के अदम्य साहस को सलाम किया और कहा कि यह घटना नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष में निर्णायक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हिड़मा वर्षों से बस्तर में रक्तपात, हिंसा और दहशत का प्रतीक था।

सुकमा के पूवर्ती में हुआ था जन्म

माड़वी हिड़मा का जन्म सन 1981 में सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में हुआ था। यह गांव नक्सली नर्सरी के रूप में जाना जाता है। हिड़मा बस्तर क्षेत्र से केंद्रीय समिति में शामिल होने वाला एकमात्र आदिवासी था। हिड़मा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे (राजक्का) भी मारी गई। संगठन के भीतर हिड़मा को संतोष, हिदमाल्लू सहित कई नामों से जाना जाता था।

इन बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा हिड़मा

• 2007: रानीबोदली में फोर्स के कैम्प पर हमला, 55 जवान शहीद।

• 2010: दंतेवाड़ा हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद।

• 2013: झीरम घाटी नरसंहार में कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित 27 लोग मारे गए।

• 2021: सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।

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