हरेली तिहार 2025: CM हाउस में होगा भव्य आयोजन, डिप्टी सीएम करेंगे कृषि यंत्रों की पूजा

CM हाउस में होगा भव्य आयोजन, डिप्टी सीएम करेंगे कृषि यंत्रों की पूजा
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Hareli Tihar 2025 : रायपुर। छत्तीसगढ़ का पहला और पारंपरिक पर्व हरेली तिहार आज 24 जुलाई 2025 को पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आवास सहित पूरे राज्य में भव्य आयोजन हो रहे हैं। हरेली तिहार में लोग अपने कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं, गेड़ी नृत्य करते हैं और प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि संस्कृति का प्रतीक है।

सीएम हाउस में हरेली तिहार का भव्य आयोजन

रायपुर के सीएम हाउस में हरेली तिहार का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर कृषि यंत्रों की पूजा, गेड़ी नृत्य, सावन झूला, और रामायण पाठ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपने परिवार के साथ इस उत्सव में शामिल होंगे और किसानों की समृद्धि के लिए प्रार्थना करेंगे।

पूर्व सीएम के निवास पर पारंपरिक उत्सव

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर स्थित निवास पर भी हर साल की तरह हरेली तिहार पारंपरिक अंदाज में मनाया जाएगा। इस अवसर पर कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जुटेंगे। पारंपरिक गीत, नृत्य और गेड़ी चढ़ने की गतिविधियों के साथ उत्सव की रौनक बढ़ेगी। यह आयोजन ग्रामीण परंपराओं और सामुदायिक एकता का प्रतीक है।

नवा रायपुर में उपमुख्यमंत्री का आयोजन

उपमुख्यमंत्री अरुण साव सुबह 10 बजे नवा रायपुर के शासकीय आवास में हरेली तिहार मनाएंगे। वे कृषि उपकरणों की पूजा करेंगे और किसानों की खुशहाली व समृद्धि की कामना करेंगे। इस आयोजन में स्थानीय लोग भी शामिल होंगे, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाएंगे।

प्रकृति और कृषि का उत्सव हरेली तिहार

हरेली का अर्थ है चारों ओर फैली हरियाली। यह पर्व प्रकृति और कृषि के प्रति सम्मान का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के किसान खेतों में जुताई, बुआई, रोपाई और बियासी जैसे कार्य पूर्ण करने के बाद इस त्योहार को उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन घरों में गुड़ का चीला बनाया जाता है।

कृषि औजारों को धोकर, धूप-दीप से पूजा की जाती है और नारियल व गुड़ का चीला भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। गांवों में ठाकुर देव की पूजा-अर्चना कर नारियल अर्पित किया जाता है। गेड़ी चढ़ने की परंपरा हरेली तिहार का अभिन्न हिस्सा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बांस से गेड़ी बनाते हैं और बच्चे से लेकर बड़े तक इसका आनंद लेते हैं। सुबह से ही किसान अपने खेतों में धान, दलहन, और तिलहन की फसलों की पूजा करते हैं। अच्छी फसल की कामना के लिए खेतों में महुआ के डंगाल लगाए जाते हैं।


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