108 संजीवनी एक्सप्रेस के टेंडर में खेल

एक मात्र बोलीदाता कंपनी को ठेका सौंपने की तैयारी पूरी
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) की कार्यप्रणाली एक बार फिर विवादों में है। आठ महीने से जारी डॉयल 108 संजीवनी एक्सप्रेस की निविदा प्रक्रिया में अब केवल एक ही बोलीदाता को काम सौंपने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि इसके लिए एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी को अंधेरे में रखकर खेल खेला गया।
सीजीएमएससी ने तीसरी निविदा की तकनीकी बोली खोलते हुए एकमात्र आवेदक कंपनी एम-एस ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज (देवर-सिकंदराबाद, तेलंगाना) को 95.4 अंक देकर योग्य घोषित कर दिया है। अब केवल वित्तीय बोली खुलना बाकी है और ठेका सीधे ईएमआरआई को दिया जाएगा, प्रतिस्पर्धा के नियमों को ताक पर रखकर।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कई कंपनियां 200 से 500 एम्बुलेंस तक सफलतापूर्वक चला रही हैं। इनका औसत प्रतिक्रिया समय 12-15 मिनट (शहरी क्षेत्रों में 8-10 मिनट) है, जान बचाने की दर 90 प्रतिशत से ऊपर है। हर गाड़ी में जीपीएस ट्रैकिंग, एआई आधारित डिस्पैच, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और ऑन-बोर्ड टेलीमेडिसिन की सुविधा मौजूद है। ये सभी कंपनियां छत्तीसगढ़ की तीनों प्री-बिड मीटिंग में उपस्थित थीं और उन्होंने लिखित में बेहतर तकनीक और कम दरों का प्रस्ताव रखा। लेकिन सीजीएमएससी ने इन्हें जानबूझकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
नियमों की अनदेखी
छत्तीसगढ़ स्टोर खरीद नियम, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशानिर्देश और सामान्य वित्तीय नियम के नियम 173 में स्पष्ट लिखा है कि यदि किसी निविदा में केवल एक ही वैध बोली बचती है, तो निविदा को रद्द करके पुनः निविदा निकालना अनिवार्य है। एकमात्र बोली को स्वीकार करना भ्रष्टाचार माना जाता है।
फिर भी इन सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए एकमात्र बोली को न केवल खोला गया बल्कि उसे 96.4 अंक देकर योग्य भी घोषित कर दिया गया।
पहली निविदा (अप्रैल 2025) में 15 कंपनियों ने प्री-बिड में हिस्सा लिया और आरएफपी पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कीं। तकनीकी मूल्यांकन में कैंप ने 92, ईएमआरआई ने 87 और जय अंबे ने 78 अंक हासिल किए। क्यूसीबीएस पद्धति के तहत कैंप को ठेका मिलना तय था। लेकिन बोली खुलने से एक दिन पहले सीजीएमएससी ने तकनीकी कारणों का बहाना बनाकर पूरी निविदा रद्द कर दी। कैंप ने सीजीएमएससी को लिखित शिकायतें भेजीं, फिर भी कोई जवाब नहीं आया।
दूसरी निविदा (11 जुलाई 2025) में शर्तों को रातों-रात पूरी तरह ईएमआरआई के पक्ष में कर दिया गया। अनुभव के अंक बदले गए, टर्नओवर की सीमा 150 करोड़ से बढ़ाकर 200 करोड़ कर दी गई, 1001 एम्बुलेंस का एकल अनुबंध चलाने पर 15 अतिरिक्त अंक और 50 एम्बुलेंस प्रति अनुबंध जैसे नियम जोड़ दिए गए। ये सारी शर्तें देश में केवल ईएमआरआई के पास थीं। सात बड़ी कंपनियों ने प्री-बिड में लिखित रूप से बताया कि ये केवल एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए हैं, फिर भी एक शब्द नहीं बदला गया।
