चर्च बेदखल: कब्जा मुक्त कराई गई राजभवन के सामने की 5 एकड़ बेशकीमती जमीन

- यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट से खाली कराया गया
- लीज खत्म होने के बाद 8 साल पहले कलेक्टर ने कर दिया था आवंटन निरस्त
रायपुर। राजधानी रायपुर में अरबों की बेशकीमती जमीन से सरकार ने यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट (सीएनआई) को बेदखल कर दिया है। सीएनआई को करीब पांच एकड़ जमीन 100 साल की लीज पर मिली थी। जमीन राजभवन और आकाशवाणी चौक स्थिति काली मंदिर के सामने है। जिला प्रशासन की टीम ने सोमवार को जमीन को कब्जा मुक्त कराने के साथ ही वहां नई चारदीवारी खड़ी करा दी है।
100 साल पुरानी लीज खत्म, कब्जा नहीं छोड़ा
यह जमीन साल 1922 में चर्च ट्रस्ट को 100 साल के लीज एग्रीमेंट पर दी गई थी, जिसकी मियाद 2022 में खत्म हो चुकी थी। लीज खत्म होने के बावजूद ट्रस्ट ने जमीन खाली नहीं की थी। इतना ही नहीं सीएनआई वहां कमर्शियल गतिविधियों के जरिए आय अर्जित कर रहा था। इसको लेकर हिंदू स्वाभिमान संगठन ने राजस्व न्यायालय में याचिका दायर की थी।
15 जुलाई को राजस्व विभाग से मिली स्वीकृति
सीएनआई का लीज समाप्त होने के बाद जमीन वापस लेने के रायपुर नजूल कोर्ट के आदेश को संभाग आयुक्त के माध्यम से राजस्व विभाग को भेजा गया था। इस पर 15 जुलाई को राजस्व विभाग ने सहमति की मुहर लगा दी। विभाग ने रायपुर कलेक्टर को सीएनआई से जमीन वापस लेकर रिकार्ड में शासन के नाम पर चढ़ाने को कहा है।
कोर्ट का आदेश, प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
लंबी सुनवाई के बाद राजस्व न्यायालय ने सीएनआई ट्रस्ट को जमीन खाली करने का आदेश दिया और जिला प्रशासन को जमीन अधिग्रहण के निर्देश दिए। आदेश के कुछ दिनों बाद ही रायपुर जिला प्रशासन ने गॉस मेमोरियल ग्राउंड सहित पूरी जमीन को अपने कब्जे में ले लिया।
सिविल लाइन में 35 एकड़ से अधिक चर्च लीज भूमि
जानकारी के अनुसार, रायपुर की सिविल लाइन क्षेत्र में लगभग 35 एकड़ जमीन अलग-अलग चर्च ट्रस्टों को लीज पर दी गई थी, जिनमें से अधिकतर की लीज अब समाप्त हो चुकी है। फिर भी कई जगह ट्रस्ट अब भी काबिज है और निजी लाभ के लिए उपयोग कर रहा है।
हिंदू संगठनों की मांग, बाकी जमीनें भी कब्जा मुक्त हों
हिंदू स्वाभिमान संगठन ने प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक जरूरी और साहसी कदम है। संगठन ने यह भी मांग की है कि जिन अन्य चर्च ट्रस्टों ने सरकारी लीज पर मिली जमीनों को बेचा या निजी उपयोग में लिया है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए और बची हुई लीज को रद्द कर जमीनें सार्वजनिक उपयोग में लाई जाएं।
वर्जन
जमीन का आवंटन निरस्त करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ी है। 2017 में रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी ने लीज निरस्त कर दिया था। इसके बाद सरकार बदल गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस दौरान भी हम लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे, अब सफलता मिली है।
विश्वदिनी पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, हिंदू स्वाभिमान संगठन
शासन के निर्देशानुसार जमीन का सीमांकन करवा कर कब्जा मुक्त करा लिया गया है। वहां चारदीवारी बनाने का काम शुरू हो गया है।
कीर्तिमान राठौर, अपर कलेक्टर, रायपुर
