CG News: CGPSC भर्ती घोटाले पर हाईकोर्ट की सख्ती, योग्य उम्मीदवारों को जल्द नियुक्ति का आदेश

CG PSC Recruitment Scam Order To Appoint Eligible Candidates : रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की 2021 भर्ती घोटाले ने राज्य में व्यापक विवाद खड़ा किया था, लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने योग्य और बेदाग अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने 29 जुलाई 2025 को आदेश दिया कि जिन 60 से अधिक अभ्यर्थियों के खिलाफ CBI जांच में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है, उन्हें 60 दिनों के भीतर नियुक्ति दी जाए।
यह नियुक्ति CBI जांच और हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बेदाग अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ असंवैधानिक है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करता है।
ये है पूरा मामला
26 नवंबर 2021 को CGPSC ने 171 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, लेखाधिकारी, जेल अधीक्षक, और नायब तहसीलदार जैसे पदों सहित 20 सेवाओं में सीधी भर्ती होनी थी। 11 मई 2023 को परिणाम घोषित हुए, जिसमें कई अभ्यर्थियों ने मेरिट सूची में जगह बनाई। हालांकि, परिणामों के बाद परीक्षा में धांधली, प्रश्नपत्र लीक और CGPSC के तत्कालीन अध्यक्ष तमन सिंह सोनवानी सहित कई अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों के चयन ने विवाद को जन्म दिया।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका
पूर्व बीजेपी विधायक ननकीराम कंवर ने जनहित याचिका दायर कर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं को उजागर किया। उन्होंने 18 चयनित अभ्यर्थियों की सूची पेश की, जिनमें अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदार शामिल थे, जैसे तमन सिंह सोनवानी के भतीजे नितेश सोनवानी (डिप्टी कलेक्टर) और साहिल सोनवानी (डीएसपी), साथ ही श्रवण कुमार गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार। हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए CBI जांच के आदेश दिए।
CBI ने 16 जनवरी 2025 को सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें तमन सिंह सोनवानी और उनके रिश्तेदार शामिल थे। जांच में पाया गया कि 'रिलेटिव' शब्द को 'फैमिली' से बदलकर और 'भतीजे' को परिभाषा से हटाकर चयन में हेरफेर किया गया।
योग्य अभ्यर्थियों की याचिका
CBI जांच के चलते सभी 171 नियुक्तियां रोक दी गईं, जिसका असर उन 60 से अधिक अभ्यर्थियों पर पड़ा, जिनका चयन योग्यता के आधार पर हुआ और जिनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। इन अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर तर्क दिया कि उनकी नियुक्ति रोकना अन्यायपूर्ण और अवैधानिक है। उन्होंने कहा कि मेरिट के आधार पर उनका चयन हुआ, और उन्हें दोषियों के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
2 मई 2025 को सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने फैसला सुरक्षित रखा और 29 जुलाई 2025 को आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा, पूरी चयन सूची को दूषित मानकर सभी नियुक्तियां रोकना असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 16 (नियुक्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है। जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ CBI ने कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की, उन्हें 60 दिनों में नियुक्ति दी जाए। नियुक्तियां CBI जांच और हाईकोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन होंगी। यदि भविष्य में कोई प्रतिकूल तथ्य सामने आता है, तो सेवा समाप्त की जा सकती है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि चयन प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताएं हुई हैं और CBI जांच में और गड़बड़ियां सामने आ सकती हैं। इसलिए नियुक्तियां रोकी गईं। CGPSC ने कहा कि उसका काम केवल चयन सूची जारी करना है और नियुक्ति आदेश का अधिकार राज्य सरकार के पास है।
हाईकोर्ट ने सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि बिना सबूत के सभी अभ्यर्थियों को दंडित करना अनुचित है। जस्टिस प्रसाद ने जोर दिया कि बेदाग अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
