CG Coal Scam: सौम्या और सूर्यकांत की संपत्ति अटैच मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ईडी की कार्रवाई को दी थी चुनौती

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई को बिलासपुर हाईकोर्ट ने वैध ठहराया है। इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और उनके परिवार के सदस्यों सहित अन्य आरोपियों ने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की थीं। कोर्ट ने लंबी कानूनी बहस के बाद याचिका को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस विभू दत्त गुरु की डबल बेंच ने सभी 10 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद 23 जुलाई 2025 को फैसला सुनाया है।
कोयला लेवी घोटाले का पूरा मामला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रायपुर इकाई ने अवैध कोयला लेवी घोटाले की जांच के दौरान पाया कि जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला परिवहन करने वालों से प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली की गई। इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है।
ईडी की जांच में सामने आया कि खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया गया। इसके बाद केवल उन कोल व्यापारियों को परमिट और परिवहन पास जारी किए गए, जो सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों को प्रति टन 25 रुपये की राशि अदा करते थे। इस तरह से कुल 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई।
ईडी की संपत्ति कुर्की कार्रवाई
30 जनवरी 2025 को ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत सूर्यकांत तिवारी, उनके भाई रजनीकांत तिवारी, कैलाशा तिवारी, दिव्या तिवारी, सौम्या चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, मां शांति देवी, समीर विश्नोई और अन्य से संबंधित 49.73 करोड़ रुपये की 100 से अधिक चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया।
इनमें बैंक बैलेंस, वाहन, नकदी, आभूषण और जमीन शामिल हैं। इस कार्रवाई के खिलाफ केजेएसएल कोल पावर और इंद्रमणि मिनरल्स सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा, निखिल वार्ष्णेय, शशांक मिश्रा, अभ्युदय त्रिपाठी और अन्य ने दलीलें पेश कीं। वहीं, ईडी की ओर से अधिवक्ता डॉ. सौरभ कुमार पांडे ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार किया और याचिकाओं को खारिज करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि जांच में सामने आए तथ्य और सबूत पर्याप्त हैं।
घोटाले की राशि का उपयोग
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि इस अवैध वसूली की राशि का उपयोग सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने, चुनावी खर्चों को पूरा करने और कई चल-अचल संपत्तियों की खरीद में किया गया। इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ के खनिज विभाग और कोयला व्यापार की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
