रतन टाटा की मां, सिमोनसिमोन टाटा का निधन

टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे रतन टाटा की मां सिमोन टाटा का आज मुंबई में निधन हो गया। वह 95 साल की थीं ।उनकी शादी रतन टाटा के पिता नवल टाटा से हुई थी, और इसी कारण सिमोन टाटा, रतन टाटा की सौतेली मां (stepmother) थीं। लेकिन यह रिश्ता केवल औपचारिक या पारिवारिक परिचय भर नहीं था इसके पीछे टाटा समूह के इतिहास, संस्कृति और उसके नेतृत्व की एक गहरी परंपरा भी छिपी हुई है। वो टाटा ग्रुप के वर्तमान चेयरमैन नोएल की मां थीं। नवल टाटा, टाटा परिवार के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। वे टाटा समूह के अनेक सामाजिक और औद्योगिक उपक्रमों के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे। उनकी पहली पत्नी सूनू कोमिस्सार थी, जिनसे रतन टाटा और उनके छोटे भाई का जन्म हुआ। बाद में यह विवाह टूट गया और उसके बाद नवल टाटा ने स्विट्ज़रलैंड की सिमोन डनॉय से विवाह किया, जो भारत आकर सिमोन टाटा के नाम से जानी गईं। सिमोन टाटा अपने साथ एक आधुनिक, विश्वदृष्टि से युक्त, सौम्य और अत्यंत कर्मठ व्यक्तित्व लेकर आई थीं। भारतीय उद्योग जगत में उन्होंने विशेष रूप से लैक्मे और बाद में टाटा इंडस्ट्रीज़ के साथ काम करते हुए उल्लेखनीय नेतृत्व दिखाया। इसी विवाह के परिणामस्वरूप सिमोन टाटा, नवल टाटा के पहले विवाह से पैदा हुए बच्चों रतन और जिमी की सौतेली मां बनीं।
रतन टाटा और सिमोन टाटा का रिश्ता: आदर और विश्वास का
औपचारिक तौर पर भले ही उन्हें “सौतेली माँ” कहा जाए, लेकिन रतन टाटा और सिमोन टाटा का रिश्ता इससे कहीं अधिक परिपक्व, सम्मानजनक और सौहार्दपूर्ण माना जाता है। टाटा परिवार में रिश्तों को लेकर हमेशा एक गरिमामय संयम और गहराई दिखाई देती है। रतन टाटा ने कई बार अपने परिवार की निजी बातों पर अधिक चर्चा नहीं की, लेकिन सिमोन टाटा को लेकर हमेशा आदरपूर्ण बातचीत की है। सिमोन टाटा भी रतन टाटा के प्रति उसी गरिमा से पेश आती थीं। सिमोन टाटा का व्यक्तित्व अत्यंत अनुशासित, विनम्र और व्यावसायिक था। रतन टाटा की शख्सियत में जो simplicity, elegance और modern outlook दिखता है, उसके पीछे टाटा परिवार के संस्कारों के साथ-साथ सिमोन टाटा जैसी महिलाओं की सांस्कृतिक उपस्थिति भी मानी जाती है।
सिमोन टाटा ने जिस तरह लैक्मे और बाकी टाटा उपक्रमों को आगे बढ़ाया, वह रतन टाटा के नेतृत्व और सोच के साथ सहज तालमेल में था। यह समझना जरूरी है कि सिमोन टाटा का महत्व केवल ‘रतन टाटा की सौतेली माँ’ के रूप में नहीं था। उनका योगदान स्वयं में इतना बड़ा है कि वे भारतीय कॉरपोरेट इतिहास में एक उल्लेखनीय व्यक्तित्व के रूप में स्थापित हैं। 1950 के दशक में भारतीय महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधनों का बाजार लगभग न के बराबर था। सिमोन टाटा ने टाटा समूह को इस क्षेत्र में प्रवेश कराने का सुझाव दिया था। उनके नेतृत्व में लैक्मे देश का सबसे विश्वसनीय और लोकप्रिय ब्रांड बन गया। बाद में इसे हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया गया, लेकिन लैक्मे की मूल पहचान और शुरुआती विकास का श्रेय सिमोन टाटा को ही जाता है।
रतन टाटा-सिमोन टाटा का पारिवारिक प्रभाव
रतन टाटा ने हमेशा कहा है कि उनके जीवन में परिवार, सम्मान और मूल्य सबसे महत्वपूर्ण हैं। सिमोन ने परिवार में यूरोपीय सादगी और भारतीय पारंपरिक गरिमा, दोनों का संयमित मिश्रण बनाए रखा। रतन टाटा और उनके छोटे भाई जिमी के जीवन में वह एक शांत, सम्माननीय उपस्थिति रहीं, किसी हस्तक्षेप करने वाली सौतेली मां की छवि बिल्कुल नहीं। इसलिए, जब हम पूछते हैं कि सिमोन टाटा का रतन टाटा से क्या रिश्ता था? तो उसका उत्तर केवल सौतेली मां देना पर्याप्त नहीं। वह उनके जीवन का एक गरिमामय, सौम्य और प्रेरणादायक हिस्सा थीं। एक ऐसी उपस्थिति, जिसने परिवार और उद्योग दोनों में अपना विशिष्ट स्थान बनाया।
