India-US Tariff: स्टील शुल्क के विरोध में भारत का पलटवार,अमेरिका पर लगेगा जवाबी टैरिफ, बादाम-सेब से लेकर रसायनों पर होगा प्रभाव

India-US Tariff: भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। यह कदम अमेरिका द्वारा एल्यूमिनियम और स्टील पर लगाए गए आयात शुल्क के जवाब में उठाया गया है। अमेरिकी द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ की वजह से भारत का निर्यात प्रभावित हुआ है।
इसी कारण अब भारत ने भी अमेरिका से आने वाले कुछ आवश्यक सामानों पर समान स्तर का टैरिफ लगाने की मांग की है। यह फैसला भारत के व्यापारिक हितों की रक्षा और वैश्विक व्यापार नियमों के तहत अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।
भारत ने WTO को सौंपी जवाबी कार्यवाही की योजना
भारत ने अमेरिका के रवैये के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। बीते सोमवार को विश्व व्यापार संगठन (WTO) को दिए गए नोटिस में भारत ने संकेत दिया कि वह अमेरिका से आयात होने वाले चुनिंदा उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है। अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए टैरिफ से भारत का लगभग 7.6 अरब डॉलर का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
भारत ने साफ किया है कि यह कदम एक जवाबी कार्यवाही में उठाया जा रहा है और यह WTO के नियमों के अनुरूप है। साथ ही भारत ने अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्युमिनियम पर लगाए गए शुल्क को भारत ने अनुचित करार दिया है।
1.91 अरब डॉलर के टैरिफ की योजना, 29 अमेरिकी उत्पाद होंगे शामिल
भारत सरकार ने WTO के काउंसिल फॉर ट्रेड इन गुड्स को 9 मई 2025 को सूचित किया कि वह अमेरिका से आने वाले 29 उत्पादों पर लगभग 1.91 अरब डॉलर के बराबर का टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। इन उत्पादों में सेब, बादाम, अखरोट, नाशपाती और विभिन्न रसायन शामिल हैं।
टैरिफ के दरों में होगी 5% से 100% तक की वृद्धि
सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, उत्पादों पर टैरिफ दरों में 5% से 100% तक का इजाफा किया जा सकता है। भारत का तर्क है कि यह कदम अमेरिकी टैरिफ के चलते हुए व्यापारिक असंतुलन को संतुलित करने और अपने उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
व्यापारिक संबंधों में बढ़ सकता है तनाव
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे इस्पात का उत्पादक है, ऐसे में ट्रंप प्रशासन के टैरिफ का भारत के निर्यात पर सीधा असर हुआ है। अब भारत की ओर से उठाए जा रहे इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ने की संभावना है। हालांकि भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि उसकी हर कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों की सीमा में रहे।
