Vadodara Bridge Collapse: महिसागर नदी में पुल गिरने के चलते अब तक 17 की मौत, तीसरे दिन भी खोज अभियान जारी

महिसागर नदी में पुल गिरने के चलते अब तक 17 की मौत, तीसरे दिन भी खोज अभियान जारी
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महिसागर नदी में पुल गिरने के चलते अब तक 17 की मौत

Vadodara Bridge Collapse : गुजरात। 9 जुलाई को हुए गंभीरा पुल हादसे के स्थल से ताजा दृश्य सामने आए हैं। वडोदरा के कलेक्टर अनिल धमेलिया और अन्य अधिकारी लगातार तीसरे दिन यहां चल रहे खोज और बचाव अभियान का जायजा लेने पहुंचे हैं। गौरतलब है कि, हादसे में जान गवाने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है।

कलेक्टर अनिल धमेलिया ने कहा, "परसों, हमने 12 शव बरामद किए थे, और कल, हमने 6 शव बरामद किए। 5 पीड़ितों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत स्थिर है। बाकी शव एक स्लैब के नीचे फंसे हुए हैं और उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं। नदी के बीचों-बीच क्विकसैंड की 3-4 मीटर गहरी परत है। सोडा ऐश पानी में छोड़ा जा रहा है, जिससे बचाव दल को जलन और खुजली हो रही है।

सल्फ्यूरिक एसिड का एक टैंकर पानी में :

कलेक्टर ने यह भी बताया कि, सल्फ्यूरिक एसिड का एक टैंकर पानी के अंदर फंसा हुआ है। इसलिए हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि वह बाहर न निकले। मरने वालों की संख्या बढ़ गई है। बचाव अभियान के तीसरे दिन भी 2 लोग लापता हैं। प्रशासन का कहना है कि, नदी में अब अन्य किसी व्यक्ति या वाहन के लापता होने की सूचना नहीं मिली है।"

पहले भी कई बार हुई शिकायत, मीडिया ने चेताया, सरकार सोती रही

स्थानीय मीडिया पिछले कई महीनों से इस ब्रिज की जर्जर हालत पर रिपोर्टिंग कर रही थी। बार-बार चेताया गया था कि यह पुल कभी भी गिर सकता है, लेकिन न सरकार ने सुध ली, न प्रशासन ने। अब जब 17 शव नदी से निकाले जा चुके हैं, तब जाकर अफसर हरकत में आए हैं। इसके आलावा कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो स्थानीय नेताओं ने भी पुल की कमजोरी को लेकर शिकायत की थी लेकिन जांच के बाद मामला ठन्डे बस्ते में डाल दिया।

हादसे के वक्त क्या हुआ?

9 जुलाई को सुबह लगभग 7:45 बजे जब लोग रोज की तरह पुल पार कर रहे थे, तभी अचानक ब्रिज का एक हिस्सा टूट गया और दर्जनों वाहन नीचे महिसागर नदी में जा गिरे। स्थानीय लोगों और बचाव दल ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया लेकिन तब तक कई ज़िंदगियां खत्म हो चुकी थीं।

45 साल पुराना ब्रिज और सुसाइड ब्रिज की पहचान

स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह पुल करीब 45 साल पुराना था, और इसे कई बार 'सुसाइड ब्रिज' के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि इसकी सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर थी। इलाके के नागरिकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बार-बार ब्रिज की मरम्मत और नया निर्माण कराने की मांग की थी लेकिन सरकारी फाइलों में यह पुल मौत की लाइन पर पड़ा रहा।

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